राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा-2009 की आवश्यकता एवं महत्त्व

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा-2009 की आवश्यकता एवं महत्त्व 


Need and Importance of National Curriculum Framework Teacher Education 2009)—इसकी आवश्यकता एवं महत्त्व के कारकों का वर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा-2009 की आवश्यकता एवं महत्त्व
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा-2009 की आवश्यकता एवं महत्त्व 


1. शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिये (For the universalisation of education) 

शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 की आवश्यकता अनुभव की गयी क्योंकि शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इस पाठ्यक्रम में शिक्षक के अन्दर उन सभी योग्यताओं को विकसित करने का प्रावधान है जो शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता देती है; जैसे छात्रों के प्रति आत्मीय व्यवहार, शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रुचिपूर्ण बनाना तथा शिक्षा को खेल एवं गतिविधियों से जोड़ना आदि। इस प्रकार शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये यह पाठ्यक्रम आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

2. निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के लिये (For free and compulsory education)-

वर्तमान समय में सरकार का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष के बालकों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। इसके लिये शिक्षकों के दायित्व में वृद्धि होना स्वाभाविक है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में शिक्षकों को सामुदायिक सहयोग प्राप्त करने के लिये तथा छात्रों के साथ आत्मीय व्यवहार के लिये अनेक कौशल सिखाये जाते हैं जिससे शिक्षक अधिक से अधिक छात्रों का नामांकन कराने में सफल हो जाते हैं। इसके लिये सामुदायिक सहयोग को प्राप्त करने में भी सफल हो जाते हैं। इस प्रकार निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के लिये इस पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं महत्त्व को अनुभव किया गया।

3. परिवर्तित समाज के लिये (For the changing society)--

वर्तमान समय में समाज की आवश्यकता एवं नवीन पाठ्यक्रम संरचना की ओर संकेत कर रही है, क्योंकि वर्तमान समाज में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का प्रभाव चारों ओर देखा जाता है। वर्तमान समाज में पर्यावरणीय मूल्य एवं वैज्ञानिक मूल्यों का प्रभाव देखा जाता है। इसलिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा में परिवर्तित समाज के लिये पर्यावरणीय मूल्य, वैज्ञानिक मूल्य, आर्थिक मूल्य, दार्शनिक मूल्य, सामाजिक मूल्य एवं नैतिक मूल्यों से सम्बन्धित पाठ्य सामग्री का समावेश किया गया है जिससे परिवर्तित समाज में शिक्षक अपनी भूमिका प्रभावी एवं सार्थक रूप में निभा सकें। इस प्रकार इस पाठ्यक्रम को परिवर्तित समाज के लिये आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण माना गया है।

4. शैक्षिक असमानता को कम करने के लिये (To decrease the educational inequality) 

सामान्यतः अनेक बालिकाएँ लिंग भेद के कारण विद्यालय तक नहीं पहुँच पाती हैं तथा कुछ बालक विद्यालयी उपेक्षाओं के कारण भी विद्यालय छोड़ देते हैं । राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में शिक्षक को सामुदायिक सहयोग प्राप्त करने के लिये विविध उपाय बताये गये हैं तथा छात्रों के प्रति सकारात्मक व्यवहार की प्रेरणा प्रदान की गयी है जिससे शिक्षक विद्यालय में निष्पक्षता एवं समानता का व्यवहार करें। इससे छात्रों की विद्यालयी व्यवस्था में रुचि बनी रहेगी तथा किसी प्रकार की असमानता की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। शिक्षक एवं समुदाय के सहयोग से बालक-बालिका एवं दलित वर्ग को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। इस प्रकार की स्थिति विकसित करने के लिये पाठ्यक्रम की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी।

5. नवीन चुनौतियों के समाधान के लिये (For the solution of new challenges) 

वर्तमान समय में शिक्षकों के लिये नवीनतम चुनौतियों का भण्डार है। आज प्रत्येक समाज में अनेक प्रकार की रूढ़ियाँ विद्यमान हैं जो कि समाज को आगे जाने से रोकती हैं। इस स्थिति में शिक्षकों का दायित्व अधिक हो जाता है। अतः आवश्यक है कि शिक्षक को प्रशिक्षण में उन सभी चुनौतियों का ज्ञान प्रदान किया जाय जिनका समाधान उसको अपने भावी जीवन में करना है । राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा में अनेक प्रकार की नवीन चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत किया गया है जिससे छात्राध्यापक उनको सीखकर अपने भावी जीवन में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं पर्यावरणीय चुनौती का सामना कर सकें। इस प्रकार की स्थितियों का सामना करने के लिये इस पाठ्यक्रम को आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण माना गया है।

6. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की प्रभावशीलता के लिये (For the effectiveness of teaching learning process) 

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की प्रभावशीलता के लिये यह आवश्यक है कि शिक्षक एवं शिक्षार्थी में आत्मीय व्यवहार उत्पन्न हो। समाज में आज भी अनेक ऐसी विसंगतियाँ हैं जिनके दबाव के कारण शिक्षक भेदभावपूर्ण व्यवहार करते हैं जो कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को कुप्रभावित करता है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में उन सभी उपायों का वर्णन किया गया है जिससे छात्र एवं शिक्षक एक-दूसरे के समीप आ सकें तथा दोनों के मध्य आत्मीय व्यवहार हो। इस प्रकार दोनों पक्ष एक-दूसरे की भावना एवं मनोदशा को समझ सकेंगे जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावशीलता के साथ सम्पन्न हो सकेगी।

7. छात्रों की अन्तनिर्हित क्षमताओं के विकास के लिये (For the development of internal powers of students)-

छात्रों में अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास के लिये भी शिक्षकों की निरीक्षण शक्ति में विकास तथा मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का ज्ञान शिक्षक को होना चाहिये जिससे वह छात्रों की क्षमताओं को पहचान सकें तथा आवश्यकता के अनुसार उनका विकास करें। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा में इस प्रकार के तथ्यों की पूर्ण व्यवस्था है जो कि छात्राध्यापकों की निरीक्षण एवं मनोवैज्ञानिक शक्ति का विकास करती है।

8. जीवन कौशलों के विकास के लिये (For the development of life skills) 

छात्रों में जीवन कौशलों के विकास के लिये भी शिक्षक को अपने दायित्वों का निर्वहन करना परमावश्यक है। शिक्षा का अर्थ मात्र पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करना नहीं है वरन् छात्रों को प्राप्त ज्ञान का जीवन में उपयोग करना सिखाना है। वर्तमान राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में छात्राध्यापकों में जीवन कौशलों के विकास के लिये पूर्णत: व्यवहारिक कार्यों का समावेश किया है जिससे छात्राध्यापक समुदाय के बीच जाकर अपने कार्यों को सम्पन्न कर सकें।

9. समाज की आवश्यकता पूर्ति के लिए (For the need completion of society) 

वर्तमान समाज के शिक्षक, शिक्षालय एवं शिक्षा से समाज की अधिक अपेक्षाएँ हैं। इसलिये एक ऐसे पाठ्यक्रम की आवश्यकता प्रारम्भ से ही अनुभव की जा रही थी जो कि छात्रों में सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति की क्षमता उत्पन्न कर सकें। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में छात्रों को सामुदायिक सहयोग प्राप्त करने तथा सामाजिक समीपता दोनों के ही उपाय बताये गये जिससे छात्राध्यापक समाज की आवश्यकताओं को समझ सकें तथा उनकी पूर्ति कर सकें। इस प्रकार की स्थिति में छात्रों का विकास सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप होता है।

10. अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिये (For the international understanding)-

वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व का विकास समाज के रूप में हो रहा है। इसलिये प्रत्येक राष्ट्र एक-दूसरे के विकास में पूर्णतः सहयोग करता है। इस स्थिति में शिक्षा का स्वरूप भी राष्ट्रीय सद्भावना के अनुरूप होना चाहिये। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में छात्राध्यापकों के लिये विभिन्न प्रकरणों का समावेश किया गया है जो कि अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना को विकसित करते हैं। इस प्रकार की स्थिति में छात्राध्यापक स्वयं में अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करते हैं तथा भावी जीवन में छात्रों को अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना की आवश्यकता एवं महत्त्व को समझने का प्रयास करते हैं।

उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 वर्तमान समय की माँगों की पूर्ति के लिए परमावश्यक है क्योंकि इसमें एक आदर्शवादी शिक्षक को विकसित करने की पूर्ण व्यवस्था की गयी है जो कि समाज के लिये आदर्श होगा तथा सर्वांगीण विकास की अवधारणा में पूर्ण सहयोग करेगा। इसलिये इस पाठ्यक्रम में व्यापकता का समावेश किया गया है।
Kkr Kishan Regar

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