विद्यालय वातावरण, इसके प्रकार एवं आयाम

विद्यालय वातावरण से आप क्या समझते है? इसके प्रकार एवं आयामों को समझाइये।

विद्यालय वातावरण


    विद्यालय वातावरण एक बहुआयामी सम्प्रत्यय है। इसकी सहायता से हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि विद्यालय किस प्रकार भिन्नता लिये होते हैं तथा ऐसे कौन-से कारक हैं जो विद्यालय की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं। विद्यालय के वातावरण के निर्माण में मुख्य रूप से, नेतृत्व का व्यवहार, अध्यापकों की नैतिकता, विश्वास का स्तर, संस्कृति, अभिभावकों का सहयोग, समुदाय का सहयोग, अध्यापक की प्रभाविकता, कार्यनिष्ठा, सन्तुष्टि तथा छात्रों की शैक्षिक उपलब्धता मूल्यांकन आदि कारक प्रभावी होते हैं। यदि यह सभी अच्छी प्रकार से कार्य करते हैं या उच्च स्तर के हैं तो विद्यालय का वातावरण भी अच्छा होगा अन्यथा नहीं। अतः विद्यालय वातावरण भी वास्तव में विद्यालय के पर्यावरण तथा प्रधानाध्यापक, अध्यापक, छात्रों, कर्मचारियों, अभिभावकों, समुदाय आदि के आपस में अन्त:क्रिया व सम्प्रेषण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
विद्यालय वातावरण, इसके प्रकार एवं आयाम
विद्यालय वातावरण

विद्यालय वातावरण के प्रकार

विद्यालय में प्रधानाध्यापकाप्रबन्धन तथा अध्यापकों, कर्मचारियों, छात्रों आदि में अन्तःक्रिया, सम्प्रेषण व कार्य करने की शैली के आधार पर हॉपिन तथा क्राफ्ट (Holpin and Craft) ने छ: भागों में विद्यालयी वातावरण को बाँटा है। ये छः प्रकार निम्न हैं

1. खुला वातावरण 
2. बन्द वातावरण 
3. नियन्त्रित वातावरण 
4. स्वायत्त वातावरण 
5. पैतृक वातावरण 
6. जाना-पहचाना/पारिवारिक वातावरण

1. खुला वातावरण- 
    इस प्रकार के वातावरण में विद्यालय में खुलापन अधिक होता है। अध्यापक के किसी भी कार्य में प्रधानाध्यापक या प्रबन्धन द्वारा कोई बाधा नहीं डाली जाती है। आपस में सभी एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक व मित्रवत् व्यवहार करते हैं। अध्यापकों पर कार्य का अत्यधिक भार नहीं होता है तथा वे खुशी-खुशी विद्यालय के कार्यों को करते हैं तथा किसी व्यक्ति से ये कहते हुए सुने जा सकते हैं कि विद्यालय या संस्था से जुड़ने पर वे गर्वित हैं।

2. बन्द वातावरण -    
    यह सबसे अव्यावहारिक होता है। प्रधानाध्यापक या प्रबन्ध अध्यापकों के प्रत्येक कार्य व    गतिविधि की जानकारी प्राप्त करता है तथा आवश्यकता पड़ने पर वह अध्यापकों की गलतियों या कमजोरियों के विषय में जानकारी प्राप्त कर उनके मन में डर बैठा कर कार्य करवाता है। वह कभी साथी अध्यापकों की राय नहीं लेता तथा विद्यालयों की कठोर नीतियाँ बनाकर उनका पालन कराने को कहता है। ऐसे में अध्यापक भी स्वेच्छा से कार्य नहीं करते, वे मात्र औपचारिकता करते हुए कार्य करते हैं तथा कभी भी अवसर मिलने पर प्रधानाध्यापक या प्रबन्धन के विरुद्ध हो जाते हैं।

3. नियंत्रित वातावरण - 
    इसमें अध्यापक नियन्त्रण में कार्य करते हैं तथा अनिच्छा से विद्यालय नीतियों का पालन करते रहते हैं। प्रधानाध्यापक बहुत ही कम प्रेम, सद्भाव रखता है। प्रधानाध्यापक अहम्-केन्द्रित होता है, अवैयक्तिक, औपचारिकता वाला होता है। अध्यापक लगातार कार्य तो करते हैं लेकिन उन्हें अपने कार्य से सन्तुष्टि नहीं होती

4. स्वायत्त वातावरण
    इस प्रकार के वातावरण में खुले वातावरण से कम खुलापन होता है तथा प्रधानाध्यापक उन्हें आपस में अन्त:क्रिया करने के लिये पूर्ण स्वतन्त्रता देते हैं जिससे अध्यापक अपनी सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति करता है। अध्यापक अपना कार्य अकेले व साथ दोनों प्रकार से करता है तथा आसानी से अतिशीघ्र अपने उद्देश्यों को प्राप्त करता है प्रधानाध्यापक सच्चा व लचीला होता है तथा अध्यापकों को दिशानिर्देश हेतु नियमों का निर्धारण करता है।

5. पैतृक वातावरण
    यह आंशिक रूप से बन्द वातावरण के समान है। प्रधानाध्यापक प्रत्येक अध्यापक के बारे में प्रत्येक बात जानना चाहता है तथा उसे अपनी राय देता है। प्रधानाध्यापक प्रत्येक स्थान पर अध्यापकों को परखता है, सलाह देता है कि कैसे कार्य किया जाना चाहिये। प्रधानाध्यापक का मुख्य केन्द्र विद्यालय होता है तथा उसकी गतिविधियों को ही वह क्रियान्वित करता है। बाल

6. जाना पहचाना / पारिवारिक वातावरण- 
    वास्तव में इस प्रकार के वातावरण में विद्यालय में मित्रतापूर्वक वातवरण रहता है। इसमें सभी कार्य मिल-जुलकर किये जाते हैं। अध्यापकों को अच्छे कार्य के लिये प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे उनमें आत्मविश्वास की कमी नहीं होती। सामाजिक रूप से यह कहा जा सकता है कि अध्यापक एक बड़े सुखी परिवार (संयुक्त परिवार) का भाग होते हैं। प्रधानाध्यापक सदैव अध्याएकों की भलाई के लिये कार्य करता है।

विद्यालय वातावरण के आयाम 
(A) भौतिक आयाम           (B) मानवीय आयाम 
1. पर्याप्त आयाम             1. प्रबन्धन का व्यवहार 
2. खेल मैदान                   2. प्रधानाध्यापक 
3. पुस्तकालय               3. अध्यापक 
4. शौच व जलपान की व्यवस्था     4. क्लर्क 
5. उपकरणों की उपलब्धता     5. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 
6. अन्य संसाधन         6. अभिभावक व समाज 
    
(A) भौतिक आयाम-विद्यालय वातावरण में मुख्यतः भौतिक व मानवीय आयाम वातावरण के निर्माण में प्रभावी होते हैं। इनमें से भौतिक आयाम में छात्रों व अध्यापकों के लिये पर्याप्त स्थान, खेल मैदान, पुस्तकालय आदि आते हैं। ये सभी भौतिक संसाधन विद्यालय वातावरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि यदि छात्रों व अध्यापकों को ये सुविधाएँ नहीं मिलेंगी तो सुविधाओं के अभाव में उनके व्यवहार पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा तथा वे चिड़चिड़ा तथा नाराजगी वाला स्वभाव व्यक्त करेंगे जिससे विद्यालयी वातावरण भी स्वस्थ नहीं रह पायेगा। (B) मानवीय आयाम- इसमें मुख्यतः प्रबन्धन, प्रधानाध्यापक, अध्यापक, क्लर्क आदि आते हैं। किसी भी विद्यालय के वातावरण में भौतिक आयाम की अपेक्षा मानवीय आयाम का प्रभाव अत्यधिक होता है। भौतिक आयाम की कमी से तो फिर भी समझौता हो सकता है लेकिन यह ध्यान रहे कि भौतिक आयाम की कमी से समझौता करने वाला भी मानवीय संसाधन है। अत: यदि हम विद्यालयी वातावरण के निर्माण में केवल मानवीय आयाम को ही मुख्य कारक बताये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। मानवीय आयाम में भी मुख्यतः प्रधानाध्यापक तथा अध्यापक का व्यवहार व इनकी अन्त:क्रिया ही विद्यालय वातावरण का निर्माण करती है। प्रधानाध्यापक का व्यवहार ही विद्यालय वातावरण की रीढ़ की हड्डी है।
Kkr Kishan Regar

Dear Friends, I am Kkr Kishan Regar, a passionate learner in the fields of education and technology. I constantly explore books and various online resources to expand my knowledge. Through this blog, I aim to share insightful posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest updates. I hope my posts prove to be informative and beneficial for you. Best regards, **Kkr Kishan Regar** **Education:** B.A., B.Ed., M.Ed., M.S.W., M.A. (Hindi), P.G.D.C.A.

एक टिप्पणी भेजें

कमेंट में बताए, आपको यह पोस्ट केसी लगी?

और नया पुराने