मनोवैज्ञानिक शोध : अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताए

ज्ञान प्राप्त करने की विधियाँ

आप बहुत सारी चीजों के बारे में जानते होंगे।

ज़रा सोचिए कि जिन चीजों, तथ्यों या घटनाओं के बारे में आप जानते हैं, उन्हें आपने कैसे जाना?आपको यह कैसे पता चला कि धरती गोल है? आपको यह कैसे पता चला कि यह जून का महीना है? आपको यह कैसे पता चला कि भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक बेरोजगारी है?
मनोवैज्ञानिक शोध : अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताए

कुछ परिस्थितियों में आपका उत्तर होगा—पुराने अनुभव एवं अंतर्ज्ञान से। उदाहरण के लिए, इससे पहले जहाँ आप रहते थे, वहाँ जून के महीने में तापमान अधिक होने के कारण गर्मी अधिक लगती थी। आज की तारीख में आपको याद है कि आप यहाँ हैं, जहाँ पिछले साल थे। तब आपने निगमनात्मक तर्क (Deductive Reasoning) का उपयोग करते हुए अपने पिछले अनुभव से जाना कि यह जून का महीना है।

धरती गोल है, इस संदर्भ में संभव है कि आपने सर्वप्रथम यह किसी अधिकार/अनुभवी व्यक्ति (Authority) जैसे माता-पिता, शिक्षक आदि से जाना हो। हो सकता है कि किसी उपग्रह से लिए गए चित्र अथवा ग्लोब के मॉडल को देखकर (Observation) आपने पहली बार जाना हो कि पृथ्वी गोल है।

भारत की प्रमुख वर्तमान समस्याओं में बेरोजगारी एक है। इसके बारे में भी आपने किसी विशेषज्ञ से सुनकर, किसी पत्रिका में पढ़कर या टेलीविजन देखकर जाना होगा। ये सभी नए तथ्यों को जानने के प्राथमिक तरीके हैं—अंतर्ज्ञान (Intuition), निगमन (Deduction), प्राधिकरण (Authority) और पर्यवेक्षण (Observation)।

अब कल्पना कीजिए कि किसी प्राधिकरण से आपने यह जाना कि भारत की प्रमुख समस्या बेरोजगारी है, परंतु अपने अनुभव से आपको लगा कि यह सूचना पूर्णतः सत्य नहीं है। अब सत्यता की खोज आप कैसे करेंगे?

आप एक ऐसी स्थिति की भी कल्पना कर सकते हैं, जिसके बारे में आपको पूर्वानुभव नहीं है। ऐसी परिस्थिति में आपके पास सत्य जानने का सबसे उपयुक्त तरीका क्या हो सकता है? आपका उत्तर होगा—'पर्यवेक्षण'। आप स्वयं पर्यवेक्षण करके घटना की सत्यता पता कर सकते हैं। किसी घटना के पीछे की इसी 'सत्यता' को जानने के लिए मनोवैज्ञानिक शोध करते हैं। मनोवैज्ञानिक एक व्यवस्थित एवं ध्यानपूर्वक पर्यवेक्षण करके यह जानने का प्रयास करते हैं कि प्राप्त ज्ञान अधिकतम स्तर तक सत्य है या नहीं।

वास्तव में यह पर्यवेक्षण ही है जो विज्ञान को ज्ञान प्राप्ति के अन्य तरीकों से अलग करता है, और यही मनोवैज्ञानिक शोध का आधार है।

वैज्ञानिक विधि (Scientific Method)

विज्ञान कभी भी सुनी-सुनाई अथवा काल्पनिक बातों पर विश्वास नहीं करता। वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ही सत्य तथा असत्य के बीच विभेद करता है।

विज्ञान के अनुसार जो समान रूप से सिद्ध किया जा सकता है, जो अनुभवजन्य है, जो तर्कसंगत है अथवा जिसका अस्तित्व प्रमाणित किया जा सकता है, वही सत्य है। शेष सब कुछ असत्य की श्रेणी में आता है।

वास्तव में विज्ञान की पाँच प्रमुख विशेषताएँ होती हैं:

  1. वस्तुनिष्ठता (Objectivity)

  2. नियतात्मकता (Definiteness)

  3. सत्यापनयोग्यता (Verifiability)

  4. सार्वभौमिकता (Generalizability)

  5. पूर्वकथन क्षमता (Predictability)

अनुसंधान प्रक्रिया में जिज्ञासाओं के उत्तर अवलोकन, परिकल्पना तथा परीक्षण पर आधारित होते हैं। मनोविज्ञान में शोध अध्ययन का प्रारंभिक स्तर विज्ञान एवं वैज्ञानिक विधि की विभिन्न धाराओं को समझना है।

वैज्ञानिक विधि की प्रारंभिक विशेषता यह है कि इसमें पर्यवेक्षण आवश्यक है। मुख्यतः वैज्ञानिक विधि की चार प्रमुख विशेषताएँ हैं:

  1. अनुभववाद (Empiricism)

  2. नियतत्ववाद (Determinism)

  3. सूक्ष्मता एवं सरलता (Parsimony)

  4. परीक्षणीयता (Verifiability)

अनुभववाद (Empiricism):
विज्ञान की पहली विशेषता अनुभववाद है। गैलीलियो (1564-1642) से पहले, ज्ञान प्राप्ति के साधनों में मुख्यतः प्राधिकरण (Authority) का उपयोग होता था। अरस्तू एवं प्लेटो जैसे प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा दिए गए विचारों और दृष्टिकोणों को सत्य मान लिया जाता था।

गैलीलियो और उनके समकालीन वैज्ञानिकों—न्यूटन, कोपरनिकस आदि ने बताया कि विश्व के बारे में जानने का सर्वोत्तम तरीका है 'पर्यवेक्षण'। गैलीलियो ने जब सौर परिवार (Solar System) के बारे में दुनिया को बताया, तो वह उनके स्वयं के पर्यवेक्षण पर आधारित था।

नियतत्ववाद (Determinism):
विज्ञान का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू नियतत्ववाद है। इसका तात्पर्य यह है कि वैश्विक घटनाएँ प्राकृतिक होती हैं और उनके तर्कसंगत कारण पहचाने जा सकते हैं।

मनोविज्ञान के संदर्भ में, विभिन्न व्यवहारों का अध्ययन करके हम उन कारकों की पहचान कर सकते हैं, जिनके कारण कोई व्यवहार घटित होता है। उदाहरण के लिए, किसी अवसादग्रस्त व्यक्ति के व्यवहार का पर्यवेक्षण करके हम यह जान सकते हैं कि अवसाद के कारण क्या हैं।

सूक्ष्मता एवं सरलता (Parsimony):
विज्ञान का तीसरा प्रमुख पहलू है घटनाओं की सरल व्याख्या। सामान्यतः सरल व्याख्या की सत्यता की संभावना अधिक होती है। जटिल व्याख्याएँ तभी दी जानी चाहिएँ, जब शोध अध्ययन के द्वारा सरल व्याख्या संभव न हो।

परीक्षणीयता (Verifiability):
वैज्ञानिक विधि केवल उन्हीं घटनाओं/तथ्यों को मान्यता देती है, जिनका परीक्षण किया जा सके। यदि किसी अध्ययन द्वारा प्राप्त निष्कर्ष परीक्षण योग्य नहीं है, तो उसे वैज्ञानिक नहीं माना जा सकता।

हो सकता है कि परीक्षण के दौरान प्राप्त निष्कर्ष सही पाए जाएँ, या हो सकता है कि वे गलत साबित हों।


मनोवैज्ञानिक अनुसंधान का अर्थ एवं परिभाषा

अर्थ:
अंग्रेज़ी के शब्द 'Research' की उत्पत्ति आधुनिक फ्रेंच के शब्द 'Recherche' से हुई है, जिसका तात्पर्य है 'गहराई से खोजना'।

'Research' शब्द दो अलग-अलग शब्दों 'Re' और 'Search' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है— पुनः खोज या कुछ नया जानने का प्रयास। अर्थात्, 'Research' से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसके माध्यम से नवीन ज्ञान की खोज होती है और नवीन जिज्ञासा की तृप्ति होती है।

हिंदी भाषा में 'शोध', 'अनुसंधान', 'अविष्कार' आदि शब्द 'Research' के पर्यायवाची के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।

शोध शब्द की उत्पत्ति 'शुध' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है— शुद्ध करना, निर्मल बनाना, परिष्कृत करना, गलतियों को दूर करना, रहस्यमय बात की खोज करना और अज्ञात तथ्यों का पता लगाना।

परिभाषाएँ:

  1. पी. वी. यंग (1966):

    "अनुसंधान एक ऐसी प्रणालीबद्ध विधि है, जिसके द्वारा नवीन तथ्यों की खोज की जाती है अथवा पुराने तथ्यों की पुनः परीक्षा की जाती है।"

  2. टकमैन (1999):

    "अनुसंधान एक व्यवस्थित प्रयास है, जो किसी प्रश्न का उत्तर प्रदान करता है।"

  3. जॉन डब्ल्यू. बेस्ट:

    "अनुसंधान को नियंत्रित अवलोकन, व्यवस्थित विश्लेषण एवं लेखन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो सामान्यीकरण, नियम अथवा सिद्धांत के विकास में सहायक होता है।"

  4. फ्रेड एन. केर्लिंगर:

    "वैज्ञानिक अनुसंधान एक नियंत्रित, अनुभवजन्य एवं आलोचनात्मक जाँच है, जो प्राकृतिक घटनाओं के बीच संभावित संबंधों की परिकल्पना की सत्यता की जाँच करता है।"

1.7 मनोवैज्ञानिक अनुसंधान के प्रकार (Types of Psychological Research)

मनोवैज्ञानिक अनुसंधान को कुछ प्रकारों में बाँटकर अध्ययन करना एक कठिन कार्य है। विभिन्न मानदंडों के आधार पर अनुसंधान को कई वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। विभिन्न वैज्ञानिकों ने मनोवैज्ञानिक अनुसंधान के विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत किए हैं, लेकिन इन सभी वर्गीकरणों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि मनोवैज्ञानिक अनुसंधान का कोई सार्वभौमिक वर्गीकरण प्रस्तुत करना कठिन कार्य है।

मनोवैज्ञानिक अनुसंधान के कुछ प्रमुख वर्गीकरण निम्नलिखित हैं:

  1. अनुसंधान की उपयोगिता के आधार पर वर्गीकरण

  2. अनुसंधान के प्रयुक्त उपागम (Approach) के आधार पर वर्गीकरण

  3. नियंत्रण एवं चर में परिवर्तन के आधार पर वर्गीकरण

  4. अध्ययन की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण


अनुसंधान कार्य के उद्देश्य के आधार पर अनुसंधान के तीन मुख्य प्रकार:

  1. मौलिक अनुसंधान (Fundamental Research)
    इसे मूल अनुसंधान अथवा विशुद्ध अनुसंधान भी कहा जाता है। इस प्रकार के अनुसंधान कार्य के द्वारा नवीन ज्ञान, नवीन सिद्धांत, नवीन तथ्य अथवा नवीन संकल्पनाओं को उत्पन्न किया जाता है।

  2. अनुप्रयुक्त अनुसंधान (Applied Research)
    इस प्रकार के अनुसंधान कार्य के द्वारा पूर्व में ज्ञात सिद्धांतों, तथ्यों अथवा संकल्पनाओं का उपयोग करके किसी उपयोगी वस्तु या प्रक्रिया का विकास किया जाता है। अनुप्रयुक्त अनुसंधान को वस्तुतः मौलिक अनुसंधान के परिणामों का व्यावहारिक परिस्थितियों में अनुप्रयोग कहा जा सकता है।

  3. क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research)
    इस प्रकार के अनुसंधान कार्य में तात्कालिक स्थानीय परिस्थितियों की समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक ढंग से खोजने का प्रयास किया जाता है। कुछ वैज्ञानिक क्रियात्मक अनुसंधान को वास्तविक अनुसंधान के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं।


अनुसंधान उपागम (Research Approach) के आधार पर मनोवैज्ञानिक अनुसंधान के प्रकार:

  1. गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research)
    इस प्रकार के अनुसंधान में गुणात्मक घटनाओं (Qualitative Phenomena) पर केंद्रित अध्ययन किया जाता है।

  2. मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research)
    इस अनुसंधान के अंतर्गत मात्रात्मक रूप से मापी जा सकने वाली घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।

  3. संयुक्त विधि अनुसंधान (Mixed Methods Research)
    यह अनुसंधान विधि गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों विधियों का समावेश कर अनुसंधान करती है। यह विधि आजकल अत्यधिक लोकप्रिय है क्योंकि यह दोनों अनुसंधान पद्धतियों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में उपयोग करती है।


नियंत्रण एवं चर में परिवर्तन के आधार पर अनुसंधान के प्रकार:

  1. प्रयोगात्मक अनुसंधान (Experimental Research)
    इस प्रकार के अनुसंधान में प्रयोगात्मक विधि का उपयोग किया जाता है। अध्ययन के अंतर्गत न आने वाले चर को नियंत्रित रखकर कुछ चरों में परिवर्तन करके उसका प्रभाव अन्य चरों पर देखा जाता है। जिस चर में परिवर्तन किया जाता है उसे स्वतंत्र चर (Independent Variable) तथा जिस चर पर प्रभाव देखा जाता है उसे आश्रित चर (Dependent Variable) कहते हैं।

  2. अप्रयोगात्मक अनुसंधान (Non-Experimental Research)
    वे अनुसंधान जिनका उद्देश्य कारण एवं प्रभाव (Cause & Effect) खोजना नहीं होता और जिनमें चर में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता, उन्हें अप्रयोगात्मक अनुसंधान कहा जाता है।

  3. घटित पश्चात् अनुसंधान (Ex-Post Facto Research)
    इस प्रकार के अनुसंधान का अर्थ है किसी घटना के घटित होने के बाद उसका अध्ययन करना। इसमें नियंत्रण का अभाव होता है और इसमें चर में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।


अध्ययन की प्रकृति के आधार पर अनुसंधान के प्रकार:

  1. वर्णनात्मक अनुसंधान (Descriptive Research)
    इस प्रकार के अनुसंधान में किसी घटना की वास्तविक स्थिति का यथावत वर्णन करना अपेक्षित होता है। सर्वेक्षण (Survey), घटना अध्ययन (Case Study), एवं अवलोकन (Observation) इस अनुसंधान के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।

  2. व्याख्यात्मक अनुसंधान (Explanatory Research)
    व्याख्यात्मक अनुसंधान का उद्देश्य उपलब्ध तथ्यों, सूचनाओं या प्रमाणों का विश्लेषण करके उनका आलोचनात्मक मूल्यांकन करना होता है। इस प्रकार के अनुसंधान कार्य सामान्यतः वर्णनात्मक अनुसंधान से अधिक गहन, सघन और विस्तारित होते हैं।

  3. अन्वेषणात्मक/खोजी अनुसंधान (Exploratory Research)
    अन्वेषणात्मक अनुसंधान का उद्देश्य किसी नई संकल्पना की खोज या उद्घाटन करना होता है।


Kkr Kishan Regar

Dear Friends, I am Kkr Kishan Regar, a passionate learner in the fields of education and technology. I constantly explore books and various online resources to expand my knowledge. Through this blog, I aim to share insightful posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest updates. I hope my posts prove to be informative and beneficial for you. Best regards, **Kkr Kishan Regar** **Education:** B.A., B.Ed., M.Ed., M.S.W., M.A. (Hindi), P.G.D.C.A.

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