अभिप्रेरणा की विशेषताएँ एवं वर्गीकरण

अभिप्रेरणा की विशेषताएँ एवं वर्गीकरण

अभिप्रेरणा की विशेषताएँ & वर्गीकरण

अभिप्रेरणा की विशेषताएँ 

( 1 ) प्रेरणा जन्मजात तथा अर्जित होती है ।
( 2 ) प्रेरणा के अन्तर्गत सभी तरह के भीतरी और बाहरी उद्दीपक सम्मिलित होते हैं , जो प्राणी के व्यवहार को परिचालित करते हैं ।
( 3 ) प्रेरणा के अन्तर्गत चालक का भी समावेश हो जाता है ।
( 4) चालक अथवा प्रोत्साहन से प्रेरणा का अधिकाधिक प्रभाव पड़ता है , फलस्वरूप व्यक्ति सफलता की ओर अग्रसर होता है ।
( 5 ) प्रेरणा एक मनो - शारीरिक तथा आन्तरिक प्रक्रिया है ।
( 6 ) यह आन्तरिक प्रक्रिया किसी आवश्यकता की उपस्थिति में उत्पन्न होती है ।
( 7 ) शरीर की यह आन्तरिक प्रक्रिया किसी कार्य - कलाप की ओर उन्मुख होती है , जो आवश्यकता को सन्तुष्ट करती है ।
( 8 ) यह शक्ति भीतर से जाग्रत होती है ।
( 9 ) स्वाभाविक और अर्जित मनोवृत्तियाँ , जो प्राणी के व्यवहार को परिचालित करती हैं ।
( 10 ) यह व्यक्ति की वह अवस्था होती है , जो किन्हीं उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निर्देशित करती है ।
( 11 ) ड्रेवर के अनुसार प्रेरणा एक चेतन अथवा अचेतन प्रभावशाली क्रियात्मक तत्त्व है , जो व्यक्ति के व्यवहार को किसी उद्देश्य की ओर चालित करती है । अतः व्यक्ति के अन्दर यह एक चेतन अथवा अचेतन प्रभावशाली क्रियात्मक तत्त्व है , जिससे उसके उद्देश्यपूर्ण होते हैं ।
( 12 ) मार्गन ने प्रेरणा को क्रिया का चयन करना बताया है अथवा निर्दिष्ट दिशा में कार्य करने की तत्परता ।

अभिप्रेरणा की विशेषताएँ & वर्गीकरण

अभिप्रेरकों का वर्गीकरण 

     अभिप्रेरकों को दो प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है 
1. स्वाभाविक अथवा जन्मजात ( Natural or innate Motives ) 
2. कृत्रिम अथवा अर्जित ( Artificial or Acquired Motives ) 
अभिप्रेरणा की विशेषताएँ & वर्गीकरण

स्वाभाविक अभिप्रेरक 

     यह प्राय : सभी प्राणियों ( मनुष्यों ) में पाये जाते हैं और जिन्हें हम दैनिक जीवन से सम्बन्धित कर नित्य प्रति आवश्यक महसूस करते हैं । ये स्वाभाविक ' अभिप्रेरक ही होते हैं - कुछ विद्वानों ने इसे जन्मजात या , जैविक या प्राकृतिक या शारीरिक अभिप्रेरक नाम दिया है । इन शारीरिक अभिप्रेरकों में सामान्यत : - भूख , प्यास , निद्रा , काम , प्रेम , क्रोध और विश्राम आदि आते हैं ।

कृत्रिम अभिप्रेरक 

     यह प्राणी ( मानव ) अपने-अपने साधनों ( माध्यमों ) से अर्जित करता है । व्यक्ति जिस प्रकार के वातावरण में रहता है उससे अपना जुड़ाव महसू करता है जो कि उसे एक स्थायी बल प्रदान करता है , इसी के माध्यम से वह अपने पुराने प्रेरकों में आवश्यकतानुसार बदलाव या सुधार लाने का प्रयास करता है और नवीन प्रेरकों को जन्म देता है । सामान्यत : स्वाभाविक ( प्राकृतिक अभिप्रेरक ) कृत्रिम अभिप्रेरकों के साधन स्वरूप माने जाते हैं । आवश्यकता एवं परिस्थितियों के आधार पर बालकों की अनुचित अभिप्रेरणाओं को बदलकर उसके स्थान पर वांछित ( उचित ) अभिप्रेरणा को जन्म देकर महत्त्वपूर्ण कार्य किया जाता है । इसी कारण कृत्रिम अभिप्रेरक स्वाभाविक अभिप्रेरकों का पर्याय बन जाते हैं । स्वाभाविक अभिप्रेरणा की सफलता में ये महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं । कृत्रिम अभिप्रेरकों की श्रेणी में - रुचि , आदत , जिज्ञासा , आत्म सुरक्षा , आत्म प्रदर्शन , रचनात्मकता , दण्ड , पुरस्कार , निद्रा , प्रशंसा तथा सहयोग आदि आते हैं । 

अभिप्रेरणा की विशेषताएँ & वर्गीकरण

अभिप्रेरणा का वर्गीकरण

     प्रमुख रूप से अभिप्रेरणा के वर्गीकरण का स्पष्टतः प्रमुख विद्वानों जिनमें कैंच एवं क्रैपफील्ड का वर्गीकरण , मैक्लीलैण्ड का वर्गीकरण एवं मैसलो का वर्गीकरण है जो अभिप्रेरणा के सम्बन्ध में स्पष्ट व विस्तृत वर्गीकरण कर व्याख्या करता है । इन विद्वानों ने अपने अध्ययनों द्वारा अभिप्रेरणा को स्पष्ट किया है ।

1. कैंच एण्ड क्रैपफील्ड का वर्गीकरण - 

     इन दोनों विद्वानों के द्वारा किये गये अपने अध्ययन के आधार पर हय स्पष्ट किया कि- " न्यूनता का अभिप्रेरणा आवश्यकताओं से सम्बन्धित है जिनके द्वारा वातावरण , समय और संयम से सम्बन्धित चिन्ता , डर , वैमनस्य और मानसिक हो जाता है तथा अधिकता के अभिप्रेरक का उद्देश्य सन्तोष प्राप्ति , सीखना , अवबोध , शोध , रचना एवं लक्ष्य प्राप्ति है । " इन विद्वानों ने अपने वर्गीकरण का आधार न्यूनता व अधिकता को माना है जिसके कई उपभाग भी होते हैं जो कि व्यक्ति के व्यवहार , आवश्यकता और अनुक्रियाओं को अभिप्रेरित करता है ।

2. मैक्लीलैण्ड का वर्गीकरण - 

     प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक मैक्लीलैण्ड ने उपलब्धि अभिप्रेरणा सिद्धान्त के आधार पर अभिप्रेरणा का अध्ययन किया । उनका कथन है कि- " हर आदमी , उसकी प्रकृति व व्यक्तित्व में भिन्नता होती है , इसीलिए उसकी उपलब्धि अभिप्रेरणा भी अलग - अलग होगी । " मैक्लीलैण्ड ने अभिप्रेरणा के अध्ययन के आधार पर यह स्पष्ट किया हैं कि- " वह व्यक्ति उस साधारण व्यक्ति से अधिक उपलब्ध प्राप्त कर सकता है , जिसकी आवश्यकता कम है क्योंकि " आवश्यकता ' के बारे में व्यक्तिगत भिन्नता पाई जाती है । जिन बालकों का आकांक्षा स्तर उच्च होता है यो प्रतियोगिता के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए दूसरों की अपेक्षा बहुत अधिक अभिप्रेरित रहते हैं । " 
     मैक्लीलैण्ड महोदय ने अपने अध्ययन में आगे कहा कि - ' उपलब्धि अभिप्रेरणा ' में एक शिक्षक का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है । शिक्षक ही बालक को प्रेरित करके उसके ज्ञान व सीखने में वृद्धि कर विकास की ओर अग्रसर करने का सफल प्रयास करता है । उपलब्धि अभिप्रेरणा के आधार पर मैक्लीलैण्ड ने एक शिक्षक की भूमिका को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट करने का प्रयास किया है 
( 1 ) शिक्षक का यह दायित्व है कि वह विद्यार्थियों को इसके महत्त्व व उपयोगिता से परिचित कराये । 
( 2 ) छात्रों को यह अनुभव कराया जाये कि वे एक सभ्य समाज के सभ्य सदस्य हैं । 
( 3 ) छात्रों को स्वाध्याय की ओर प्रेरित किया जाये । 
( 4 ) छात्रों एवं शिक्षकों के बीच स्नेहपूर्ण सम्बन्ध । 
( 5 ) छात्रों को लक्ष्यों एवं प्रगति का ज्ञान कराया जाये । 
( 6 ) छात्रों को यथार्थ एवं व्यावहारिक उद्देश्यों से प्रतिबद्ध किया जाये ।
अभिप्रेरणा की विशेषताएँ & वर्गीकरण


मैसलों का वर्गीकरण - 

    मैसलों ने अभिप्रेरणा पर किये गये अपने अध्ययन में ' आवश्यकता ' पर अधिक बल दिया है और उन्होंने अपने अध्ययन का आधार भी ' आवश्कताओं की तीव्रता ' को ही बनाया है । मैसलो ने अपने - अपने अध्ययन के आधार पर अभिप्रेरकों को दो भागों में विभक्त किया है जिनमें है 
1. जन्मजात अभिप्रेरक 
2. अर्जित अभिप्रेरक 
   

  मैसलों द्वारा वर्गीकृत अभिप्रेरकों को निम्न चार्ट के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है.-
abhiprerana-ki-visheshataye-vargikarn


    मैसलो महोदय का कहना है कि जब तक व्यक्ति की अपनी आवश्यकताएं पूर्ण नहीं हो जाती तब तक वह अपने विकास और लक्ष्य की ओर प्रेरित नहीं हो सकता । अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह निरन्तर प्रयास करता रहता है जिससे बाद में वह स्वयं अपने परिवार के भविष्य की सुरक्षा के बारे में सोचता है । मैसलो ने अपने अध्ययन का आधार आवश्यकताओं को माना है और ' आवश्यकता ' को पद - सोपान के आधार पर स्पष्ट करने प्रयास किया है ।

Kkr Kishan Regar

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