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शनिवार, 15 मई 2021

शिक्षण की परिभाषायें, विशेषता व प्रकृति Definitions, characteristics and nature of teaching

शिक्षण की परिभाषायें, विशेषता व प्रकृति 


Shikshan की परिभाषायें
विभिन्न शिक्षा शास्त्रियों ने शिक्षण की विभिन्न परिभाषाएँ दी हैं। किसी ने शिक्षण के एक पक्ष को अधिक महत्त्व दिया है तो किसी ने दूसरे पक्ष को। कुछ विशिष्ट शिक्षा शास्त्रियों द्वारा दी गई परिभाषाएँ निम्न है -
शिक्षण की परिभाषायें, विशेषता व प्रकृति
शिक्षण की परिभाषायें, विशेषता व प्रकृति

(1) एमीडन (1967) के शब्दों में, Shikshan एक अन्तः क्रियात्मक प्रक्रिया है जो मुख्य रूप से कक्षागत परिस्थितियों में कुछ वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शिक्षक तथा शिक्षार्थी के मध्य होती है।
- Edmund Amidon, 1967. 

 

(2) प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री एन. एल. गेज (1962) Shikshan को मात्र शिक्षार्थी व्यवहार को विकसित करने की प्रक्रिया ही न मानकर उससे शिक्षक एवं शिक्षार्थी मध्य होने वाले ऐसे पारस्परिक सम्बन्धों का प्रभाव माना है जिससे शिक्षक एवं शिक्षा दोनों ही की व्यवहार क्षमता का एक-दूसरे की अन्तः क्रिया से विकास होता है, उनके अपने शब्दों में,"Shikshan पारस्परिक प्रभावों का वह रूप है जिसका कि लक्ष्य दूसरे ...की व्यवहार क्षमताओं में परिवर्तन करना है।"
-N. I. Cage, 1962 

 

(3) क्लार्क (1970) के शब्दों में, "छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए, प्रक्रिया के प्रारूप एवं परिचालन की व्यवस्था ही Shikshan है।"

    
क्लार्क के अनुसार, Shikshan छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए नियोजित गतिविधियाँ है। इस प्रकार की गतिविधियों में प्रर्याप्त विविधता हो सकती है, जैसे - व्याख्यान, प्रश्नोत्तर, वाद-विवाद, अन्वेषण, पूछना, वैयक्तिक कार्य आदि। ये गतिविधियाँ विभिन्न क्षेत्रों में भी हो सकती है। जैसे - ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा मनोगत्यात्मक।

(4)
जॉन बुवेकर के अनुसार, "Shikshan उन अन्तर एवं बाधायुक्त परिस्थितियों की व्यवस्था एवं पुनर्निर्माण है जिन्हें कि एक व्यक्ति पार करने का प्रयास करेगा और जिसके कि करने से वह सीखेगा।" 

-John Brubacher.


(5)
डॉ. स्मिथ के शब्दों, “Shikshan क्रियाओं का वह समूह है जो कि अधिगम उत्पन्न करने क लिए प्रेरित होती है।"
- B.O. Smith

Shikshan की विशेषता-

(1)
Shikshan की समस्त क्रियाओं का आधार मनोवैज्ञानिक है। 

(2) Shikshan का कार्य ज्ञान में अभिवृद्धि एवं विकास करना है। 

(3) Shikshan मार्गदर्शन करता है। 

(4) Shikshan के माध्यम से छात्रों में उत्सुकता जाग्रत होती है। 

(5) Shikshan कला तथा विज्ञान दोनों ही है। 

(6) Shikshan एक कौशलात्मक प्रक्रिया है। 

(7) Shikshan में सभी प्रकार के व्यवहार निहित रहते हैं।
(8)
Shikshan छात्रों में क्रियाशीलता बनाये रखता है। 

(9) Shikshan के शिक्षक एवं शिक्षार्थी दो प्रमुख अंग होते हैं।
(10)
Shikshan व्यवहार परिवर्तन की एक व्यवस्था है। 

 

Shikshan की प्रकृति 

1. अच्छे Shikshan में वांछनीय सूचनाएँ देना सम्मिलित है ।
2.
अच्छा Shikshan सीखना है 

3. अच्छा Shikshan संवेगात्मक स्थिरता प्रदान करता है 

4. अच्छा Shikshan सीखने का संगठन है। 

5. अच्छे Shikshan को गुणकारी योजना की आवश्यकता है 

6. अच्छा Shikshan प्रगतिशील होता है 

7. अच्छा Shikshan जनतंत्रीय होता है 

8. अच्छा Shikshan चुनी हुई बातों का ज्ञान देना है 

9. अच्छा Shikshan सहानुभूतिपूर्ण होता है 

10. अच्छा Shikshan क्रियाशील रहने के अवसर प्रदान करता है 

11. अच्छा Shikshan सहयोग पर आधारित होता है 

12. अच्छा Shikshan तैयारी का एक साधन है 

13. अच्छा Shikshan बालक को अपने वातावरण के अनुकूल बनाने में सहायता देता है 

14. अच्छा Shikshan निदानात्मक तथा उपाचारत्मक होता है
   
मनोवैज्ञानिक अनुसंधानों क आधार पर हम आज इस योग्य हो गए हैं कि हम विद्यार्थी की वृद्धि, उसके रूझान तथा उसकी कमजोरी का पता आसानी से लगा सकते हैं। इसके द्वारा हम Shikshan को निदानात्मक बना सकते हैं। साथ ही व्यक्तिगत विभिन्नता, Shikshan की नवीन पद्धतियों तथा पिछड़ेपन के कारणों का ज्ञान प्राप्त करके हम Shikshan को उपचारात्मक भी बना सकते हैं। 

15. अच्छा Shikshan सीखने में उचित मार्ग-दर्शन करता है। 

16. अच्छे Shikshan में बालक की क्षमताओं तथा विशेषताओं का ध्यान रखा जाता है। 

17. अच्छे Shikshan में बालकों की कठिनाइयों का निदान किया जाता है। 

18. उत्तम् Shikshan में शिक्षक दार्शनिक, निर्देशक तथा मित्र के रूप में कार्य करता है। 

19. अच्छे Shikshan में शिक्षक का कक्षा व्यवहार अप्रत्यक्ष अधिक और प्रत्यक्ष कम होता है 
20.
अच्छे Shikshan में शिक्षक के व्यवहार में स्थायित्व तथा स्पष्टता होती है। 

21. अच्छे Shikshan में छात्र-शिक्षक संबंध मधुर होता है।

शिक्षण की विभिन्न परिभाषायें देते हुये उसकी विशेषता व प्रकृति की विवेचना कीजिये।

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