प्रधानमंत्री की शक्तियां, कार्य तथा भूमिका

भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां, कार्य तथा भूमिका

भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां, कार्य तथा भूमिका
Pradhanmantri ke Karya avn Shaktiyan


भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां, कार्य तथा भूमिका

भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां, कार्य तथा भूमिका की व्याख्या कीजिए।
pradhanmantri ki shaktiyan
संसदीय जनतंत्र में प्रधानमंत्री सम्पूर्ण शासन व्यवस्था का केन्द्र बिन्दु होता है। लार्ड मार्ले के शब्दों में, "Pradhanmantri मंत्रिमण्डल रूपी मेहराव की आधारशिला है।" लिंचपिन एवं नेहरू के शब्दों में, Pradhanmantri सरकार रूपी धुरी की कील है।" अनुच्छेद 78 के अनुसार Pradhanmantri संघके प्रशासन एवं विधि निर्माण प्रस्तावों संबंधी मंत्रिपरिषद के सब निर्णय राष्ट्रपति को पहुंचायेगा।' Pradhanmantri के प्रमुख कार्य एवं शक्तियाँ निम्नलिखित है 
`मंत्रिमण्डल का निर्माता, संचालनकर्ता एवं संहारकर्ता
प्रधानमंत्री की शक्तियां, प्रधानमंत्री की शक्तियां और कार्य PDF, प्रधानमंत्री की नियुक्ति,

(1) संविधान के अनुच्छेद 75(1) के अनुसार 

    मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, Pradhanmantri कीसलाह परही करताहै। मंत्रिपरिष्द का आकार, मंत्रियों की श्रेणियां, विभाग आदिगठन संबंध बातें Pradhanmantri द्वारा ही निरित क जाती है। प्रधानामंत्री मंत्रिमण्डल की बैठकें बुलाता है तथा उनकी अध्यक्षता करता है। बैठकों का कार्यक्रम निर्धारित करता है। मंत्रिमंण्डल की बैठक में निर्णय बहुमत से किया जाता है लेकिन अंतिम निर्णय Pradhanmantri का ही होता है। इसी प्रकार Pradhanmantri स्वयं त्यागपत्र देकर संपूर्ण मंत्रिपरिषद् को विघटित भी कर सकता है।
प्रधानमंत्री की शक्तियां, प्रधानमंत्री की शक्तियां क्या है, प्रधानमंत्री की शक्तियों,

(2) मंत्रिपरिषद् एवं राष्ट्रपति के मध्य कडी - 

    मंत्रिपरिषद एवं राष्ट्रपति के मध्य एकमात्र संचार माध्यम Pradhanmantri का ही होता है। राष्ट्रपति भी Pradhanmantri को सुझाव देताहै। राष्ट्रपति अपने सुझावों, विचारों एवं प्रस्तावों से Pradhanmantri को प्रभावित तो कर सकताहै, लेकिन बाध्य नहीं। Pradhanmantri राष्ट्रपति को प्रशासन के संबंध में समय समय पर सूचना देता रहता है। इस तरह Pradhanmantri मंत्रिपरिषद एवं राष्ट्रपति के मध्य पुल का कार्य करता है।

(3) प्रतिरक्षा संबंधी शक्तियाँ - 

    मंत्रिपरिषद एवं राष्ट्रपति के मध्य एकमात्र संचार माध्यम Pradhanmantri का ही होता है। राष्ट्रपति भी Pradhanmantri को सुझाव देताहै। राष्ट्रपति अपने सुझावों, विचारों एवं प्रस्तावों से Pradhanmantri को प्रभावित तो कर सकताहै, लेकिन बाध्य नहीं। Pradhanmantri राष्ट्रपति को प्रशासन के संबंध में समय समय पर सूचना देता रहता है। इस तरह Pradhanmantri मंत्रिपरिषद एवं राष्ट्रपति के मध्य पुल का कार्य करता है।
प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं अधिकार, प्रधानमंत्री की शक्तियां और अधिकार, प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य पीडीऍफ़

(4) वैदेशिक कार्य - 

    भारत में Pradhanmantri शासनाध्यक्ष है तथा सम्पूर्ण कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान भी। अतः शासनाध्यक्ष होने के कारण अन्य राष्ट्रों के शासनाध्यक्ष Pradhanmantri को ही भारत का प्रतिनिधि और शासन का वास्तकविक एवं अधिकृत प्रवक्ता मानते हैं। Pradhanmantri के वक्तव्य विदेश नीति के प्रमाणित वचन माने जाते हैं। और देश के लिए बाध्यकारी समझे जाते हैं। Pradhanmantri ही अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की बैठकों का प्रतिनिधित्व करता है तथा देश की विदेश नीति का निरूपण भी करता है। जैसे 1983 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने गुटनिरपेक्ष देशों को विश्व राजनीति मे तृतीय शक्ति के रूप में सामने रखने में योगदान दिया।

(5) वित्तीय शक्तियां - 

    वित्तीय नीति का प्रमुख दर्पण वार्षिक बजट होता है जो Pradhanmantri के नेतृत्व में तैयार किया जाता है। किसी भी देश की वित्तीय नीतियां उस देश की सरकार की आर्थिक विचारधारा और सामाजिक प्रतिबद्धताओं को दर्शाती हैं। इन वित्तीय नीतियों का निर्धारण केवल Pradhanmantri ही करता है।

(6) व्यवस्थापन सम्बन्धी शक्तियां - 

    Pradhanmantri सदन का नेता होता है। अतः सभी विधेयक उसी के नियन्त्रण में प्रस्तुत किए जाते हैं। क्योंकि वह लोकसभा में हुत ल का नेता होता है अतः सभी विधेयकों पर उसी का नियन्त्रण होता है।
प्रधानमंत्री की कार्य एवं शक्तियां, प्रधानमंत्री की कार्य, प्रधानमंत्री कार्य सांगा,

(7) दलीय नेता के रूप में भूमिका - 

    Pradhanmantri का अपने दल पर पूर्ण नियन्त्रण होता है। क्योंकि वह अपने दल का सर्वाधिक जोपन स्कूल शक्तिशाली प्रतिभाशाली एवं चमत्कारी व्यक्ति होता है। Pradhanmantri दल की नीतियां, कार्यक्रम तथा विचाराधारा सब कुछ प्रभावित करता है। वह दल का अध्यक्ष हुए बिना भी दल को नियन्त्रण में रखता है।
प्रधानमंत्री कार्यकाल, pradhanmantri karya yojana, प्रधानमंत्री की कोई चार कार्य बताइए,

(8) लोक सभा को भंग करने की शक्ति - 

    राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर सही सदन के अधिवेशनों को बुलाता है, उनका सत्रावसान करता है तथा उसे भंग कर सकता है। उदाहरण के लिए -1970, 1977, 1979, 1989,1991 एवं 1997, 2004 में Pradhanmantri की सिफारिश पर लोकसभा को भंग किया गया।

प्रधानमंत्री पद की भूमिका  

    भारत की ससंदीय व्यवस्था में Pradhanmantri की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका है उसे देश की राजनीतिक व्यवस्था की धुरी, राजनीतिक शासक, सर्वोच्च शासक की संज्ञा दी जाती है लेकिना साझा सरकार में Pradhanmantri की स्थिति इससे बिल्कुल विपरीत की होती है।
प्रधानमंत्री की भूमिका एवं कार्य, प्रधानमंत्री की कोई चार कार्य लिखिए, प्रधानमंत्री की शक्ति और कार्य,
    Pradhanmantri को “समकारों में प्रथम" बताया गया है लेकिन संविद सरकार में वह समकक्षों के हाथों की कठपुतली बना जाता है,वह राजनीति के रंगमंच पर नाचता हुआ नजर आता है। लेकिन परदे के पीछे उसे नचाने वाले हाथ दूसरे होते हैं। Pradhanmantri वह केन्द्र बिन्दु होता है जिसमें गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक मात्रा में होता है लेकिन साझा सरकार की स्थिति में वह बहुमत खो देता है।
pradhanmantri karya, pradhanmantri karya sanga, pradhanmantri karya yojana,
निम्नलिखित बिन्दुओं के  मध्यम से Pradhanmantri की स्थिति तथा भूमिका को समझा जा सकता है -

(1) मंत्रिपरिषद के गठन में Pradhanmantri की इच्छा सर्वोपरि होती है, लेकिन संविदा सरकार में उसकी स्थिति कमजोर हो जाती हैं । 

(2) Pradhanmantri, राष्ट्रपति का सलाहकार व परामर्शदाता होता है लेकिन विपक्ष या घटक दल राष्ट्रपति के माध्यम से Pradhanmantri पर नियंत्रण रखते हैं।

(3) लोकसभा में भी सत्ता पक्ष के दल का नेतृत्व Pradhanmantri ही करता है, लेकिन सासझा सरकार में उसका नेतृत्व कमजोर हो जाता हैं । 

(4) साझा सरकार में किसी एक दल का स्पष्ट बहुमत न होने के कारण संसद के दोनों सदनों पर Pradhanmantri का नियवण थोडा कम हो जाताहै।

(5) साझा सरकार में Pradhanmantri में राज्य सरकारों पर नियंत्रण नहीं रख पाता है, उसे राज्य सरकारों के दबाव के आगे झुकना पडता हैं। 

(6) संविधान द्वारा Pradhanmantri की स्थिति को काफी सुदृढ बताया गया था लेकिन साझा सरकारें की स्थिति ने Pradhanmantri की शक्ति को शून्य सा बना दिया है।

(7) साझा सरकारों में Pradhanmantri का दल पर पूर्ण नियन्त्रण नहीं रह पाता है।
pradhanmantri ke karya avn shaktiyan, pradhanmantri ke karya ka varnan kijiye, pradhanmantri ke karya adhikar,
    अन्त में यही कहा जाता है कि Pradhanmantri का व्यक्तित्व, कार्य पद्धति , उसके विचार, उसकी कार्यशैली, उसकीपद स्थिति को प्रभावित करते हैं। जैसे-पं. नेहरू, श्रीमती गाँधी एवं राजीव गाँधी का करिश्माती एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व यदि जनसामान्य को मंत्रमुगध करता था तो दूसरी ओर लालबहादुर शास्त्री के व्यक्तित्व की स्पष्टता, सहजता, सरलता एवं निष्कपटता लोगों में अपनेपन का अहसास जगाती थी। इसी प्रकार वाजपेयी की वाकपटुता तथा संवदेनशील काव्यमयी शैली उनके पद को चार चांद लगा देती है। मनमोहन सिंह की सादगी उनके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बना देती है।
pradhanmantri ka karya kya hai 
Kkr Kishan Regar

Dear friends, I am Kkr Kishan Regar, an enthusiast in the field of education and technology. I constantly explore numerous books and various websites to enhance my knowledge in these domains. Through this blog, I share informative posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest news. I sincerely hope that you find my posts valuable and enjoyable. Best regards, Kkr Kishan Regar/ Education : B.A., B.Ed., M.A.Ed., M.S.W., M.A. in HINDI, P.G.D.C.A.

एक टिप्पणी भेजें

कमेंट में बताए, आपको यह पोस्ट केसी लगी?

और नया पुराने