इग्नू DECE-02 सॉल्व्ड असाइनमेंट (2025 सत्र): स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर

इग्नू DECE-02 सॉल्व्ड असाइनमेंट (2025 सत्र): स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर

नमस्ते दोस्तों!

अगर आप इग्नू (IGNOU) से DECE (Diploma in Early Childhood Care and Education) कोर्स कर रहे हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकती है। आज हम DECE-02: 'बाल स्वास्थ्य और पोषण' के सत्रीय कार्य (Assignment) के सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से और सरल भाषा में समझेंगे।

यह सॉल्व्ड असाइनमेंट जनवरी 2025 और जुलाई 2025 सत्र के लिए है। आप इन उत्तरों को एक मॉडल के रूप में उपयोग करके अपना असाइनमेंट तैयार कर सकते हैं। ध्यान दें कि मौलिकता बनाए रखने के लिए इन उत्तरों को अपनी भाषा में लिखना सबसे अच्छा होता है।

तो चलिए, शुरू करते हैं!


भाग क (60 अंक)

प्रश्न 1: भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली (Health Care System in India)


भारत में एक व्यवस्थित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली है जिसे तीन स्तरों में बांटा गया है:

प्राथमिक स्तर (Primary Level): यह स्वास्थ्य सेवा की पहली सीढ़ी है, जिसमें उप-केंद्र (Sub-Centres), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHCs) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHCs) आते हैं। इनका मुख्य काम टीकाकरण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य और सामान्य बीमारियों का इलाज करना है।


द्वितीयक स्तर (Secondary Level): जब बीमारी गंभीर हो, तो मरीज को जिला अस्पतालों में भेजा जाता है। यहाँ विशेषज्ञ डॉक्टरों और सर्जरी जैसी सुविधाएँ होती हैं।


तृतीयक स्तर (Tertiary Level): यह सबसे उन्नत स्तर है, जिसमें AIIMS जैसे बड़े और विशेष अस्पताल शामिल हैं। यहाँ कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज होता है।


शहरी स्वास्थ्य प्रणाली में सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी क्लीनिक, बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल और NGOs भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो शहरी आबादी की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करते हैं।


प्रश्न 2: भारत के प्रमुख खाद्य अनुपूरक कार्यक्रम (ICDS और Mid-Day Meal)


(क) आईसीडीएस (ICDS - समेकित बाल विकास सेवाएँ)


लाभार्थी: 0-6 वर्ष के बच्चे, गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ।


पूरक आहार: आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से 3-6 साल के बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन (खिचड़ी, दलिया) और 6 महीने से 3 साल के बच्चों व माताओं को घर ले जाने के लिए सूखा राशन (टेक-होम राशन) दिया जाता है।


(ख) मध्याह्न भोजन कार्यक्रम (Mid-Day Meal)


लाभार्थी: सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के सभी बच्चे।


पूरक आहार: बच्चों को स्कूल में प्रतिदिन दोपहर का पका हुआ भोजन (दाल, चावल, रोटी, सब्जी) दिया जाता है ताकि उनका पोषण स्तर सुधरे और वे नियमित रूप से स्कूल आएँ।


प्रश्न 3: बाल्यावस्था के दो सामान्य रोग: निर्जलीकरण और एनीमिया


(क) अल्प निर्जलीकरण (Dehydration)


लक्षण: मुँह सूखना, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, रोते समय आँसू न आना।


कारण: दस्त, उल्टी या तेज बुखार।


उपचार: जीवन रक्षक घोल (ORS) और तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, दाल का पानी बार-बार देना।


(ख) एनीमिया (रक्ताल्पता)


लक्षण: थकान, त्वचा का पीलापन, भूख न लगना।


कारण: भोजन में लौह तत्व (Iron) की कमी।


उपचार: हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गुड़, अनार जैसे लौह तत्व से भरपूर आहार देना। डॉक्टर की सलाह पर आयरन सिरप देना।


प्रश्न 4: जल, रेशा, कैल्शियम और विटामिन-K के स्रोत और कार्य


जल (Water): शरीर का तापमान नियंत्रित करता है और विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। स्रोत: पीने का पानी, फल, जूस।


रेशा (Fibre): पाचन को दुरुस्त रखता है और कब्ज से बचाता है। स्रोत: साबुत अनाज, फल, सब्जियाँ।


कैल्शियम (Calcium): हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाता है। स्रोत: दूध, दही, पनीर, रागी।


विटामिन के (Vitamin K): चोट लगने पर रक्त का थक्का जमाने में मदद करता है। स्रोत: हरी पत्तेदार सब्जियाँ, पालक, पत्ता गोभी।


प्रश्न 5: एक 2 साल के बच्चे के लिए संतुलित आहार चार्ट (Sample Diet Plan)


यहाँ 2 साल के बच्चे के लिए एक दिन का सैंपल डाइट प्लान दिया गया है:


सुबह का नाश्ता (8:00 AM): सूजी का उपमा और दूध (ऊर्जा, कैल्शियम, प्रोटीन)।


मध्य-सुबह (11:00 AM): मसला हुआ केला या सेब (विटामिन, फाइबर)।


दोपहर का भोजन (1:00 PM): दाल-चावल की नरम खिचड़ी और दही (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा)।


शाम का नाश्ता (4:00 PM): उबला हुआ शकरकंद (विटामिन ए, ऊर्जा)।


रात का खाना (7:30 PM): घी लगी नरम रोटी और दाल/सब्जी (संतुलित पोषण)।


प्रश्न 6: बच्चों के विकास की निगरानी: ग्रोथ चार्ट का उपयोग कैसे करें?


ग्रोथ चार्ट बच्चे के स्वास्थ्य का रिपोर्ट कार्ड है। इसका उपयोग ऐसे करें:


सही माप लें: हर महीने बच्चे का सही वजन और लंबाई मापें।


बिंदु अंकित करें: चार्ट पर बच्चे की उम्र और वजन के अनुसार सही जगह पर एक बिंदु (डॉट) लगाएँ।


बिंदुओं को जोड़ें: नए बिंदु को पिछले बिंदु से एक रेखा से जोड़ें। इससे एक वृद्धि वक्र (Growth Curve) बनेगा।


वक्र को समझें:


ऊपर जाता वक्र: अच्छा विकास।


सपाट वक्र: चेतावनी का संकेत, पोषण या स्वास्थ्य समस्या हो सकती है।


नीचे जाता वक्र: गंभीर समस्या, तुरंत डॉक्टर से मिलें।


प्रश्न 7: पोषण स्तर क्या है? कुपोषण और संक्रमण का दुष्चक्र


पोषण स्तर का अर्थ है कि भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों के आधार पर किसी व्यक्ति का शरीर कितना स्वस्थ है।


कुपोषण और संक्रमण का दुष्चक्र (Vicious Cycle):

यह एक खतरनाक चक्र है:


कुपोषण से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे वह आसानी से संक्रमित हो जाता है।


संक्रमण होने पर बच्चे को भूख नहीं लगती और शरीर के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे वह और भी ज्यादा कुपोषित हो जाता है।

यह चक्र बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक है। इसे तोड़ने के लिए संतुलित आहार और स्वच्छता दोनों जरूरी हैं।


भाग ख - प्रैक्टिकल वर्क-1: बच्चे के खाने के व्यवहार का अवलोकन


उद्देश्य: एक छोटे बच्चे की खाने की आदतों और पसंद-नापसंद को समझना।


मेरा अवलोकन: मैंने एक 3 वर्षीय बच्ची 'आराध्या' का अवलोकन किया।


प्रतिक्रिया: उसे दाल-रोटी पसंद आई लेकिन आलू की सब्ज़ी देखकर उसने मुँह बना लिया।


तरीका: वह चम्मच की जगह हाथ से खाना पसंद कर रही थी और इस प्रक्रिया में थोड़ा गिरा भी रही थी।


निष्कर्ष: बच्चे भोजन में अपनी पसंद रखते हैं। उन्हें जबरदस्ती खिलाने की बजाय रचनात्मक तरीके से प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें खुद खाने देना उनके आत्मविश्वास के लिए अच्छा है।


भाग ग - प्रैक्टिकल वर्क-2: स्वास्थ्य और स्वच्छता पर एक मजेदार गतिविधि


गतिविधि: "कीटाणुओं को भगाओ, हाथ धोना अपनाओ!"


उद्देश्य: बच्चों को खेल-खेल में हाथ धोने का महत्व और सही तरीका सिखाना।


मैंने यह गतिविधि कैसे की:


कहानी: मैंने बच्चों को 'राजू के गंदे हाथ' की कहानी सुनाई।


खेल: मैंने चमकी (Glitter) को कीटाणु बताकर दिखाया कि वे कैसे एक हाथ से दूसरे हाथ पर फैलते हैं।


प्रदर्शन: फिर मैंने साबुन से हाथ धोकर दिखाया कि कैसे सारे कीटाणु (चमकी) भाग जाते हैं।


कविता और अभ्यास: मैंने एक मजेदार कविता के साथ हाथ धोने के 7 चरण सिखाए और बच्चों से अभ्यास कराया।


"पहले हाथ करो गीले, फिर लगाओ साबुन नीले-पीले।

ऊपर मलो, नीचे मलो, उँगलियों के बीच में मलो।

अँगूठे को घुमाओ, नाखूनों को रगड़ो,

फिर पानी से हाथ धोकर, कीटाणुओं को पकड़ो!"


निष्कर्ष: बच्चों ने खेल-खेल में हाथ धोने का महत्व सीखा। यह गतिविधि बहुत सफल रही।


हमें उम्मीद है कि यह सॉल्व्ड असाइनमेंट आपके लिए उपयोगी होगा। अगर आपका कोई सवाल है या आप कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट्स में जरूर बताएं!


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Kkr Kishan Regar

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