शिक्षा का अर्थ एवं विशेषताएं

शिक्षा का संकुचित, व्यापक व वास्तविक अर्थ तथा शिक्षा की विशेषताएं

शिक्षा का अर्थ एवं विशेषताएं
शिक्षा का अर्थ एवं विशेषताएं 

शिक्षा का अर्थ शिक्षा का अर्थ


       शिक्षा के अर्थ को हम कई रूपों में प्रयोग करते हैं। शिक्षा का अर्थ कभी-कभी तो हम सामान्य लिखाई-पढ़ाई को ही शिक्षा कहने लगते हैं, यह कहना गलत है। वर्तमान में शिक्षा कअर्थ को हम तीन रूपों में प्रयुक्त करते हैं --

1. ज्ञान के रूप में,

2. एक विषय के रूप में तथा

3. एक प्रक्रिया के रूप में।शिक्षा का अर्थ

       जब किसी ने किसी एक विशिष्ट स्तर तक कोई ज्ञान प्राप्त किया है, तब हम उसे शिक्षा नहीं कहते हैं, जैसे- उसने एम.ए. तक की शिक्षा पाई है, तब यह नहीं कहेंगे कि उसने एम.ए. की शिक्षा पाई है आदि-आदि। यहाँ हम शिक्षा को संकीर्ण अर्थ में प्रयुक्त करते हैं। शिक्षा का अर्थ ज्ञान के किसी एक विशिष्ट स्तर का द्योतक है। दूसरे अर्थ में, शिक्षा को हम एक विशिष्ट विषय के रूप में लेते हैं, जैसे उसने बी.ए. में अन्य विषयों के साथ शिक्षाशास्त्र विषय भी लिया था या उसने एम.ए. (शिक्षा) को परीक्षा उत्तीर्ण की है या उसके पास बी.एड. में एक विषय शिक्षाशास्त्र भी था। यहाँ सभी जगह शिक्षा को एक अध्ययन विषय के रूप में माना गया है। तीसरे अर्थ में, शिक्षा को एक प्रक्रिया के रूप में प्रयुक्त करते हैं। शिक्षा का अर्थ यहाँ शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप में हमारी प्रकृति प्रदन मानसिक शक्तियों के विकास के लिए प्रयुक्त होती है। वास्तव में जब हम शिक्षा के अर्थ की बात करते हैं, तब हम शिक्षा के इसी तीसरे अर्थ की बात करते हैं कि शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप में क्या है, इसका अर्थ क्या है, इसका महत्त्व क्या है आदि। प्रस्तुत पुस्तक में शिक्षा का जहाँ कहीं भी प्रयोग हुआ है. एक प्रक्रिया के रूप में ही अर्थ हुआ है। शिक्षा का अर्थ 

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ 

    संस्कृत भाषा में 'शिक्षा' शब्द की व्युत्पत्ति शिक्ष' धातु से हई है। शिक्षा का अर्थ संस्कृत में 'शिक्ष' धातु का प्रयोग सीखने, ज्ञान ग्रहण करने तथा विद्या प्राप्त करने के अर्थ में किया जाता है। इस प्रकार शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है - ज्ञान या विद्या प्राप्त करना। संस्कृत भाषा में शिक्षा के समान ही एक दूसरा शब्द 'विद्या' है। 'विद्या' शब्द की व्युत्पत्ति है -- उस सीमा तक जान लेना, जिससे आगे जानने को कुछ न बचे अर्थात विद्या ज्ञान या जानने की चरम सीमा है। शिक्षा तथा विद्या में भी अन्तर है। विद्या प्रमुख रूप से किसी विशिष्ट ज्ञान की अन्तिम स्थिति कहलाती है, जबकि शिक्षा ज्ञान का समग्र रूप है। इस अर्थ में विद्या शिक्षा का एक अंग है। शिक्षा का अर्थ जब व्यक्ति शिक्षा के किसी एक रंग में ही विशिष्टता प्राप्त कर ले तो उसे उस क्षेत्र की विद्या कहा जायेगा। 

 

      अंग्रेजी भाषा में 'शिक्षा' शब्द के लिए 'एडूकेशन' शब्द का प्रयोग किया जाता है। शिक्षा का अर्थ अंग्रेजी भाषा के 'एडूकेशन' शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा में हुई है। लैटिन भाषा के जिस शब्द से 'एड्केशन' शब्द की व्युत्पत्ति हुई है, इस सम्बन्ध में तीन विभिन्न मत प्रचलित हैं। प्रथम मत के अनुसार अंग्रेजी के शब्द 'एडुकेशन' की व्युत्पनि लैटिन के "एड्रकेटम' शब्द से हुई है। लैटिन भाषा में इस शब्द का अर्थ है - शिक्षण कार्य। द्वितीय मत के अनुसार 'एडूकेशन' शब्द लैटिन भाषा के 'एडुकेयर' से बना है। शिक्षा का अर्थ एडुकेयर' शब्द का अर्थ है -शिक्षित करना, ऊपर उठाना तथा पालन-पोषण करना। लैटिन भाषा में एक और शब्द है- 'एड्सीयर' जिससे भी कुछ लोग अंग्रेजी के 'एड्रकेशन' शब्द की व्युत्पति मानते हैं। लैटिन भाषा में 'एसीयर' का अर्थ है - पथ प्रदर्शन करना या विकसित करना। यहाँ एक तथ्य और ध्यान देने योग्य है कि लैटिन भाषा के ये तीनों ही शब्द 'एडूको' शब्द से बने हैं और यह 'एड्को ' शब्द भी पुन: दो शब्दों से बना है- 'ई' तथा 'डूको'। लैटिन भाषा में 'ई' का प्रयोग 'अन्दर से' के लिए होता है तथा 'डूको' का लैंटिन भाषा में अर्थ है - विकास करना या आगे बढ़ना। शिक्षा का अर्थ इस प्रकार 'एडूको' का अर्थ है- अन्दर से विकास करना या आगे बढ़ाना। इस प्रकार 'एडको' का अर्थ है- अन्दर से निकालकर उसका विकास करना अर्थात 'एड्को' का अर्थ है- व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों का पता करके उनका विकास करना। शिक्षा का अर्थ


शिक्षा का संकुचित अर्थ शिक्षा का अर्थ

    शिक्षा की संकुचित अर्थ की परिभाषा देते समय मैकेन्जी के अनुसार संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ है - हमारी शक्तियों के विकास तथा उन्नति हेतु किये गये सभी सचेतन या जान-बूझकर किये गये प्रयास।" शिक्षा का अर्थ

    शिक्षा का अर्थड्रेवर के अनुसार "शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा बालकों के ज्ञान, चरित्र तथा व्यवहारों को एक निश्चित दिशा तथा रूप प्रदान किया जाता है।" शिक्षा का अर्थ

    उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ उस ज्ञान से है, जिसे निश्चित योजना के अनुसार निश्चित प्रयासों से निश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार किया जाता है। शिक्षा का अर्थ सरल शब्दों में औपचारिक रूप से जब बालक को किसी चीज या विषय का ज्ञान कराते हैं तो वह शिक्षा है। विद्यालयी शिक्षा को ही हम संकुचित अर्थ में शिक्षा कहते हैं। संकुचित अर्थ में प्रयुक्त की जाने वाली शिक्षा से जो जान प्राप्त होता है, वह केवल सैद्धान्तिक ही होता है, उसका व्यावहारिक या प्रायोगिक पक्ष नहीं होता है। मनुष्य इस प्रकार की शिक्षा से केवल अपने को अलंकृत करने का प्रयास करता है। वह एम.ए. कर लेता है, पी.एचडी. कर लेता है और इस प्रकार की उपाधियों से अपने को अलंकृत करता है। यही संकीर्ण शिक्षा है। शिक्षा का अर्थ इस प्रकार की शिक्षा का प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य की आन्तरिक शक्तियों के विकास से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। शिक्षा का अर्थ

     संकुचित अर्थ में पयुक्त शिक्षा का तात्पर्य पुस्तकीय ज्ञान से है। पुस्तकों के अध्ययन से बालक जो सैद्धान्तिक ज्ञान प्राप्त करता है, वही शिक्षा है। इस प्रकार की शिक्षा प्रमुख रूप से दो उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्राप्त की जाती है। प्रधम तो इस प्रकार की शिक्षा व्यक्ति को आत्म-संतोष प्रदान करती है तथा द्वितीय यह शिक्षा दूसरों की दृष्टि में व्यक्ति को महत्त्व देती है। शिक्षा का अर्थ कुछ विद्वान का मत है कि इस प्रकार को शिक्षा समाज की संस्कृति के हस्तान्तरण तथा परिमार्जन के लिए भी आवश्यक है। 

शिक्षा का व्यापक अर्थ शिक्षा का अर्थ

   व्यापक अर्थ में शिक्षा का आशय उस शिक्षा से है, जिसे व्यक्ति नित्य नये-नये   अनुभवों के द्वारा जन्म से मृत्युपर्यन्त प्राप्त करता है।शिक्षा का अर्थ इस प्रकार की शिक्षा जीवन-पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। जब इस अर्थ में शिक्षा को लिया जाता है, तो कहा जाता है कि शिक्षा जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है । इस प्रकार की शिक्षा व्यक्ति सभी औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों से प्राप्त करता है।शिक्षा का अर्थ व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के साथ अन्त:क्रिया करते हुए अनेकानेक अनुभव प्राप्त करता है। इन अनुभवों से जो ज्ञान उसे प्राप्त होता है, वही व्यापक अर्थ में शिक्षा है।शिक्षा का अर्थ विद्यालय जीवन में प्राप्त शिक्षा भी इस व्यापक शिक्षा का एक अंग है। इस प्रकार शिक्षा पूरी तरह व्यावहारिक तथा जीवनोपयोगी होती है। इस प्रकार की शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति अपने पर्यावरण से समाजोजन करना सीखता है।शिक्षा का अर्थ 

    व्यापक अर्थ में हम शिक्षा के जिस रूप को लेते हैं, उसे बालक अपनी माँ की गोद से, बचपन के साथियों के साथ से, खेलकूद के मैदान से, सामाजिक जीवन से, विद्यालय से, मेले, तमाशे, उत्सवों, त्यौहारों, धार्मिक क्रियाकलापों तथा इसी प्रकार के सैकड़ों औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों से प्राप्त करता है। इस प्रकार की शिक्षा केवल नेत्रों या कानों से ही नहीं, अपितु बालक अपनी सभी ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त करता है। इसी कारण यह शिक्षा व्यावहारिक तथा उपयोगी होती है।शिक्षा का अर्थ इस व्यापक शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए मैकेन्जी लिखते हैं - 'व्यापक अर्थ में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो जीवनपर्यन्त चलती है तथा जीवन का प्रत्येक अनुभव उसके भण्डार में वृद्धि करता हैशिक्षा का अर्थ

शिक्षा की परिभाषा शिक्षा का अर्थ

    शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए अनेक विद्वानों ने शिक्षा की विभिन्न दृष्टिकोणों से अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं। शिक्षा का सही अर्थ ज्ञात करने में इन परिभाषाओं का अध्ययन सहायक होगा।शिक्षा का अर्थ इसी दृष्टिकोण से विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई कुछ परिभाषाएँ नीचे दी जा रही हैं - 


1. भारतीय दृष्टिकोणशिक्षा का अर्थ

(i) उपनिषद् - "सा विद्या या विमुक्तये।" शिक्षा का अर्थ

(ii) विवेकानन्द - “मनुष्य में पूर्व ही अन्तर्निहित पूर्णिता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है।" शिक्षा का अर्थ

(iii) टैगोर - "शिक्षा वह है, जो जीवन की सम्पूर्ण सत्ता के साथ समन्वय स्थापित करने की शक्ति देती है।" शिक्षा का अर्थ

(iv) महात्मा गाँधी - “शिक्षा से मेरा तात्पर्य बालक तथा व्यक्ति के शरीर तथा आत्मा की सर्वोत्तमता का सर्वांगीण प्रकटीकरण है।" शिक्षा का अर्थ


2. शिक्षा प्रकृति-प्रदत्त शक्तियों के विकास की प्रक्रिया के रूप में 

    कुछ शिक्षाशास्त्री शिक्षा को जन्मजात तथा प्रकृति-प्रदत्त शक्तियों का विकास करने वाली प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख शिक्षाशास्त्री निम्नलिखित परिभाषाएँ देते हैं 

       (i) सुकरात - शिक्षा का अर्थ

"शिक्षा से तात्पर्य मनुष्य के मस्तिष्क में अन्तर्निहित सर्वमान्य वैध विचारों को आगे बढ़ाना है।" 

      (ii) फ्रॉबेल-शिक्षा का अर्थ

    "शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से बालक अपनी अन्तर्निहित शक्तियों को प्रकाशित करता है।" 

3. शिक्षा वैयक्तिकता के पूर्ण विकास के रूप में शिक्षा का अर्थ

कुछ विद्वान शिक्षा को वैयक्तिकता के पूर्ण विकास के रूप में मानते हैं। इनके  हिसाब से वैयक्तिकता का पूर्ण विकोस ही शिक्षा है और ये विद्वान इसी अर्थ में शिक्षा को परिभाषित करते हैं। नीचे इसी दृष्टिकोण से युक्त कुछ प्रमुख परिभाषाएँ दी गयी हैं -  शिक्षा का अर्थ

    (i) सर टी.पी. नन - शिक्षा का अर्थ

"शिक्षा वैयक्तिकता का ऐसा पूर्ण विकास है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी पूर्ण क्षमता के द्वारा मानव जीवन के लिए अपना मौलिक योगदान प्रदान करता है

     (ii) पेस्तालॉजी-शिक्षा का अर्थ

    "शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का प्राकृतिक, स्वाभाविक, समन्वित तथा प्रगतिशील विकास है।" 

4. शिक्षा समायोजन स्थापित करने की क्षमता के रूप में शिक्षा का अर्थ

     कुछ शिक्षाशास्त्री शिक्षा को एक ऐसी क्षमता मानते हैं, जिसके द्वारा व्यक्ति अपने वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करता है। इस वर्ग के कुछ शिक्षा-शास्त्रियों द्वारा शिक्षा की दी गई परिभाषाएँ नीचे दी जा रही हैं - शिक्षा का अर्थ

    जेम्स -

"शिक्षा अर्जित आदतों का संगठन है, जो उन कार्यों से सम्बन्धित है जो व्यक्ति को उसके सामाजिक तथा भौतिक वातावरण में उचित स्थान देता हैं।" शिक्षा का अर्थ

     बटलर -

     "शिक्षा प्रजाति की आध्यात्मिक धरोहरों के साथ व्यक्ति का क्रमिक समायोजन है।" 

    रेमॉण्ट - "शिक्षा विकास का ऐसा क्रम है, जिसके द्वारा व्यक्ति क्रमिक रूप में विभिन्न उपायों से अपने भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करता है।" 


5. शिक्षा समूह-प्रक्रिया के रूप में शिक्षा का अर्थ

    हा कुछ शिक्षाशास्त्री शिक्षा को समूह में परिवर्तन करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करते हैं। इस वर्ग के अन्दर जो परिभाषाएँ दी गई हैं, उनमें से एक परिभाषा नीचे दी गयी है 

(i) ब्राउन - "शिक्षा चैतन्य रूप से नियन्त्रित की गई ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यवहारों के सन्दर्भ में व्यक्ति में तथा समूह में व्यक्ति द्वारा परिवर्तन लाये जाते हैं।" 


कुछ अन्य परिभाषाएँ -     

    1. अरस्तू -"स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण ही शिक्षा है।"

   2.टॉमसन - "शिक्षा वातावरण का व्यक्ति पर वह प्रभाव है, जो उसकी व्यवहारगत आदतों, विचारों तथा अभिवृत्तियों पर स्थायी रूप से डाला जाता है।" शिक्षा का अर्थ

    3. रॉस - "शिक्षा एक सुनिश्चित तथा महत्त्वपूर्ण अवधारणा रखने वाले व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति पर इस उद्देश्य से डाला गया प्रभाव है कि वह भी उन अवधारणाओं तथा विचारों का निर्माण कर ले।" 

    4.डी.वी. - "शिक्षा अनुभवों के सतत् पुनर्निर्माण के माध्यम से जीवन की प्रक्रिया है। यह व्यक्ति में उन समस्त क्षमताओं का विकास है, जिनके द्वारा वह अपने पर्यावरण को नियन्त्रित करता है तथा अपनी उपलब्धि की सम्भावनाओं को पूरा करता है।" शिक्षा का अर्थ

     5. हरबर्ट - "शिक्षा अच्छे नैतिक चरित्र का विकास है।" 

     6. यूलिच रॉबर्ट - "शिक्षा व्यक्तियों के मध्य तथा व्यक्ति और बाह्य जगत के मध्य चलती रहने वाली सतत् अन्त:क्रिया है।

शिक्षा का वास्तविक अर्थ शिक्षा का अर्थ

    जहाँ तक शिक्षा के संकीर्ण अर्थ का प्रश्न है, यह वास्तव में शिक्षा को बड़े ही संकुचित तथा संकीर्ण अर्थ में व्यक्त करता है। इस अर्थ में आकर शिक्षा बड़ी रूढ़िवादी तथा परम्परागत बन जाती है, जिसमें परिवर्तन की कोई सम्भावना नहीं है। फलत: इस प्रकार की परिभाषा शिक्षा को सामाजिक परिवर्तनों के साथ न तो चला पाती है और न इस प्रकार की शिक्षा से समाज की बदलती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति ही हो सकती है। इस स्थिति में संकुचित अर्थ वाली शिक्षा वास्तविक, व्यावहारिक व सामाजिक नहीं है और जब हम शिक्षा के व्यापक अर्थ को लेते हैं तो पाते हैं कि शिक्षा का व्यापक अर्थ शिक्षा को आवश्यकता से अधिक उदार बना देता है। इस अर्थ के अनुसार यदि शिक्षा जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है और यह दैनिक जीवन के अनुभवों से प्राप्त होती है, तब शिक्षा के सचेष्ट प्रयास करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बालक को मुक्त वातावरण में स्वछन्द विचरण करने दो, इसी से वह शिक्षा प्राप्त कर लेगा। इस प्रकार की शिक्षा वह नदी, पेड़-पौधे आदि सभी से सीखेगा। उसे टक्कर लगकर ही अकल आयेगी, परन्तु समाज की संस्कृति के हस्तान्तरण व परिमार्जन का क्या होगा आदि प्रश्न ऐसे हैं, जिनका कोई उत्तर नहीं है। शिक्षा का अर्थ

    विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी शिक्षा की परिभाषाओं का प्रश्न है, वे भी सर्वथा दाषमुक्त नहीं कही जा सकती हैं, क्योंकि इनमें से अधिकांश परिभाषाएँ एकांगी तथा पक्षपातपूर्ण हैं। हम सभी जानते हैं कि उच्च कोटि के चिन्तक एक निश्चित प्रकार का दर्शन तथा विचारधाराएँ बना लेते हैं और उनके सन्दर्भ में ही अपने विचार व्यक्त करते हैं। ठीक इसी प्रकार की बात इनके द्वारा दी गई शिक्षा की परिभाषाओं के बारे में लागू होती है। इन विद्वानों के जीवन का चरम लक्ष्य प्राप्त करने का एक अपना पृथक ही दृष्टिकोण ही इनके द्वारा दी गयी परिभाषाओं को प्रभावित करता है। इस कारण इनकी परिभाषाएँ शिक्षा के समस्त पहलुओं को स्पष्ट नहीं कर पाती हैं, फलतः अपूर्ण रह जाती हैं शिक्षा का अर्थ

    यदि हम शिक्षा की कोई पूर्ण एवं सर्वागीण परिभाषा देना चाहें तो हमें ऊपर जितनी भी परिभाषाएँ दी गई हैं, उन सब परिभाषाओं का एक सार निकालकर एक परिभाषा के रूप में प्रस्तुत करना पड़ेगा तभी शिक्षा का वास्तविक अर्थ ज्ञात हो सकेगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी सहायता से बालक की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक विकास इस प्रकार होता है कि उसके द्वारा न केवल उसकी वैयक्तिकता का ही विकास हो, अपितु वह अपना व समाज का कल्याण करते हुए अपने भौतिक, सामाजिक तथा आध्यामिक वातावरण के साथ समायोजन स्थापित कर सके। शिक्षा का अर्थ

शिक्षा की विशेषताएँ शिक्षा का अर्थ

    शिक्षा की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कुछ विशेषताओं का पता चलता है। इन परिभाषाओं का यदि विश्लेषण किया जाये, तो विश्लेषणात्मक कार्य से शिक्षा की निम्नलिखित कुछ अत्यन्त विशेषताओं का पता चलता है 


    1.औपचारिक शिक्षा ही शिक्षा नहीं है शिक्षा का अर्थ

    -शिक्षा की परिभाषाओं से, विशेषकर व्यापक अर्थ वाली परिभाषाओं से यह पता चलता है कि बालक द्वारा औपचारिक शिक्षा ही केवल मात्र शिक्षा नहीं है। दूसरे शब्दों में, बालक जिस शिक्षा को विद्यालय में सचेष्ट प्रयासों से सीखता है, केवल मात्र वही शिक्षा नहीं, अपितु अन्य अनौपचारिक साधनों से भी वह जो कुछ सीखता है, उसे भी हम शिक्षा के दायरे में सम्मिलित करते हैं। वास्तविक रूप से देखा जाये तो हम पायेंगे कि विद्यालय द्वारा बालक जो कुछ सीखता है वह तो हमारी सम्पूर्ण शिक्षा का बहुत छोटा-सा एक भाग है। अपनी शिक्षा का वह बहुत बड़ा  भाग तो अन्य अनौपचारिक तथा अपने दैनिक अनुभवों से प्राप्त करता है। शिक्षा का अर्थ

 2. शिक्षा एक गत्यात्मक प्रक्रिया है -

    - शिक्षा कोई एक स्थिर क्रिया नहीं है। यह तो निरन्तर चलती रहने वाली प्रक्रिया है, जो जीवन के प्रारम्भ से जीवन के अन्त तक चलती रहती है। इस सतत् प्रक्रिया से मनुष्य सदैव उन्नति की ओर अग्रसर होता हैं और अपने व्यवहारों में परिमार्जन करता रहता है। 

    

3. शिक्षा जन्मजात शक्तियों का विकास है - शिक्षा का अर्थ

     शिक्षा बालक या व्यक्ति को अतिरिक्त कुछ नहीं दे सकती है, अपितु यह लो उसमें से कुछ भी प्रकृति-प्रदत्त क्षमताएँ, योग्यताएँ तथा अभिवृत्तियाँ हैं, केवल उनको ही प्रकाशित कर उनमें उन्नतिशील तथा प्रगतिशील परिमार्जन कर सकती है। शिक्षा बालक की प्रकृति-प्रदत्त तथा जन्मजात शक्तियों का विकास करने वाली गत्यात्मक प्रक्रिया है। महात्मा गाँधी शिक्षा की इसी विशेषताओं को आधार मानकर शिक्षा की परिभाषा देते हैं कि "शिक्षा उन सर्वश्रेष्ठ गुणों का प्रदर्शन है, जो बालक एवं मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क और आत्मा में हैं।" 

4.शिक्षा त्रि-स्तम्भीय प्रक्रिया है - शिक्षा का अर्थ

     आदर्शवादी विचारधारा के अनुसार सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया में शिक्षक को ही सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वही एकमात्र स्तम्भ है, जिस पर सम्पूर्ण प्रक्रिया आधारित हैं। इस प्रकार शिक्षा एक स्तम्भीय प्रक्रिया है और शिक्षक ही एकमात्र स्तम्भ हैं। प्रकृतिवादी विचारधारा ने आदर्शवादी विचारधारा का विरोध किया और कहा कि अकेला शिक्षक ही शिक्षा का एकमात्र स्तम्भ नहीं है, सम्पूर्ण नहीं हैं। सम्पूर्ण शिक्षण प्रक्रिया में जितना अधिक महत्त्व शिक्षक का है, उतना ही अधिक महत्त्व शिक्षार्थी का हैं, क्योंकि शिक्षक शिक्षा प्रदान करता है तो शिक्षार्थी उसे ग्रहण करता हैं। इसलिए प्रेषक तथा प्राप्तकर्ता ने शिक्षा को “द्वि-स्तम्भीय" (Bi-bolar) प्रक्रिया बना दिया। कालान्तर में जॉन डीवी तथा व्यवहारवादी विचारकों ने मत व्यक्त किया कि सम्पूर्ण प्रक्रिया में जितना महत्वपूर्ण स्थान शिक्षक तथा छात्र को प्राप्त है, उतना ही अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान उस विषयवस्तु या पाठ्यक्रम का है, जिसकी शिक्षा उसे प्राप्त करनी हैं, क्योंकि पाठ्यक्रम के अनुसार ही शिक्षक बालक की शिक्षा को निर्धारित करता हैं। पाठ्यक्रम के अभाव में शिक्षा दिशाहीन तथा अनिश्चित हो जायेगी। इस प्रकार शिक्षा जगत में शिक्षक, शिक्षार्थी तथा पाठ्यक्रम तीनों ही समान महत्त्व रखते हैं। शिक्षा को इस तरह त्रि-स्तम्भीय प्रक्रिया बना दिया गया। आज भी शिक्षा को त्रि-स्तम्भीय प्रक्रिया के रूप में ही स्वीकार किया जाता हैं। शिक्षा का अर्थ


5. शिक्षा सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया है -शिक्षा का अर्थ

     शिक्षा का कार्य बालक की कुछ विशिष्ट शक्तियों तथा क्षमताओं का ही विकास करना नहीं वरन शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक के व्यक्तित्व के सभी पक्षों का विकास करने का प्रयास किया जाता है। शिक्षा के द्वारा उसके विकास के सभी आयामों को प्रभावित करने की चेष्टा की जाती है। शिक्षा का कार्य सम्पूर्ण व्यक्ति का निर्माण करता है, वह व्यक्ति की केवल स्मरण-शक्ति, कल्पना, सामाजिक, दिल, हदय, आत्मा अथवा शरीर का ही विकास नहीं करती, अपितु व्यक्तित्व का विकास करती हैं। 

6. शिक्षा समायोजन की प्रक्रिया है -शिक्षा का अर्थ

     व्यक्ति का सन्तुलित विकास तभी सम्भव है, जब अपने वातावरण के साथ समायोजन स्थापित कर ले। अपने स्वयं के तथा अपने वातावरण के साथ जब तक व्यक्ति का समायोजना नहीं होगा, व्यक्ति की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहेगी, उसमें चिन्ता तथा तनाव रहेगा, फलतः वह मानसिक उद्वेगों से पीड़ित रहेगा और किसी भी प्रकार के अनुभव प्राप्त नहीं कर पायेगा। शिक्षा के द्वारा बालक में  पर्यावरण के साथ समायोजन करने की शक्ति विकसित की जाती है, जिससे वह मानसिक संघर्षों से बचता हुआ अपना सन्तुलित विकास कर सकें। 


7.शिक्षा व्यवहार परिमार्जन की प्रक्रिया हैशिक्षा का अर्थ

    - मूलत: प्रत्येक बालक के व्यवहार जन्मजात तथा प्रकृति-प्रदत्त होते हैं। फलतः उनमें नियोजन, संगठन तथा व्यवस्था का अभाव होता है। एक प्रकार से वे मूलप्रवृत्यात्मक व्यवहार, असभ्य तथा जंगलीपन लिये हुए तथा पशुतुल्य होते हैं। शिक्षा के द्वारा इन व्यवहारों को समाजोपयोगी बनाया जाता है, उनमें व्यवस्था तथा प्रणाली का प्रवेश किया जाता है तथा उनको सुधारकर इस प्रकार का रूप दिया जाता है कि उनकी सहायता से वह अपना, समाज का तथा राष्ट्र का सर्वाधिक हित कर सकें। 


8. शिक्षा अनुभवों का सतत् पुनर्गठन है - शिक्षा का अर्थ

मनुष्य तथा बालक अपने दैनिक जीवन में विविध प्रकार के अनुभव प्राप्त करते हैं। कुछ व्यक्ति अपने अनुभवों से लाभ उठाकर अपने व्यवहारों का परिमार्जन कर लेते हैं तथा नई-नई क्षमताओं से कौशलों का विकास कर लेते हैं। यही शिक्षा कहलाती है, जबकि कुछ लोग अपने अनुभवों से लाभ नहीं उठा पाते हैं। व्यक्ति जब अपने अनुभवों से लाभ उठाता है तब वह उस लाभ के कारण अपने अनुभवों का पुनसँगठन करता है, जिससे प्रत्येक अनुभव उसे अधिकतम लाभ दे सके और उसकी शिक्षा प्रणाली में ऐसा स्थान ग्रहण कर सकें, जहाँ से वह उस अनुभव का सर्वोत्तम लाभ दे सकें। इसलिए कहा जाता है कि शिक्षा अनुभवों का पुनसंगठन हैं  

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