हड़प्पा सभ्यता : उद्भव और विस्तार, नगर नियोजन, अवशेष, आर्थिक दशा, उद्योग और शिल्प, व्यापार, पतन, महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

हड़प्पा सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता की खोज 1920-22 में हुई। उस समय हड़प्पा और मोहनजोदड़ो दो प्रमुख नगर खुदाई में प्राप्त हुए थे। जिसमें हड़प्पा की खुदाई दयाराम साहनी ने की थी जबकि मोहनजोदड़ो की खुदाई राखलदास बनर्जी ने की थी। हड़प्पा रावी नदी के किनारे पर स्थित था जबकि मोहनजोदड़ो सिन्धु नदी के किनारे पर स्थित था।
हड़प्पा सभ्यता का इतिहास क्या है? हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत कब हुई थी? हड़प्पा की खोज कब और किसने की? हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की थी? हड़प्पा के लोग कौन थे? हड़प्पा कौन सी भाषा बोलता है? हड़प्पा और मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है? हड़प्पा सभ्यता कहाँ स्थित है?

 

उद्भव और विस्तार

हड़प्पा की सभ्यता को तीन कालों में बाँटा गया है। जैसे-
(अ) प्रारम्भिक काल : यह काल 3500 ई.पू. से 2600 ई. पू. तक का माना गया है।
(ब) परिपक्व काल ; यह काल 2600 ई. पू. से 1900 ई.पू. तक माना गया है।
(स) उत्तर हड़प्पा काल : यह काल 1900 ई. पू. से 1400 ई पू. तक माना गया है।

खुदाई में प्राप्त अवशेषों से यह जानकारी मिलती है कि हड़प्पा की सभ्यता से पहले लोग छोटे-छोटे गाँवों में रहते थे लेकिन कुछ समय बाद वे छोटे-छोटे कस्बों के रूप में बदल गये । अन्त में कस्बों से ही शहरों का विकास हुआ। हड़प्पा सभ्यता के विस्तार की जानकारी भी खुदाई में प्राप्त हुई सामग्री से मिलती है।

यह सभ्यता भारत के वर्तमान कालीन राज्य जैसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि तक फैली हुई थी। इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ भाग भी सम्मिलित थे। हड़प्पा सभ्यता के मुख्य स्थल जम्मू और कश्मीर में मांडा, अफगानिस्तान मे शॉरतुलई, पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा सिन्ध में मोहनजोदड़ो और चंन्हूदड़ो, राजस्थान में कालीबंगा, गुजरात में लोथल और धोलावीरा, हरियाणा में बनवाली और राखीगढ़ी, महाराष्ट्र में दाइमाबाद आदि हैं।

नगर नियोजन :

नगर नियोजन इस सभ्यता की मुख्य विशेषता है। नगरों, गलियों, मकानों के ढाँचों, ईंटों के आकार और नालियों आदि की योजनाओं में समानता देखने को मिलती है। हड़प्पा सभ्यता के सभी प्रमुख स्थानों को दो भागों में बाँटा गया है। जैसे-पश्चिम की ओर एक ऊँचे चबूतरे पर बना किला तथा आबादी के पूर्वी भाग में बसा हुआ निचला नगर । नगरों में चौड़ी सड़कें, पक्की नालियाँ होती थी। सफाई का भी उचित प्रबन्ध था।

हड़प्पा कालीन नगर योजना की प्रमुख विशेषताए

हड़प्पा सभ्यता की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता नगर योजना है। यहाँ के नगरों, मकानों के ढाँचों, गलियों, ईंटों के आकार और नालियों आदि की योजना में एकरूपता देखने को मिलती है। इस सभ्यता के सभी प्रमुख स्थानों को दो भागों में बाँटा गया है। जैसे- पश्चिम की ओर ऊँचे चबूतरे पर निर्मित किला और आबादी के पूर्वी हिस्से में निर्मित निचला नगर। किले में बड़े-बड़े ढाँचे बने हुए है जिनसे यह संकेत मिलता है कि ये शासकीय या धार्मिक अनुष्ठान के केन्द्र के रूप में कार्य करते थे। रिहायशी मकान निचले नगर में बने हुए थे। सड़कें चौड़ी होती थीं। वे एक दूसरे को समकोण पर काटती थी। नगर कई खण्डों में बँटा हुआ था। मुख्य मार्ग छोटी गलियों से जुड़े हुए थे। मकानों के मुख्य दरवाजे संकरी गलियों की ओर ही खुलते थे। ज्यादातर मकान पक्की ईंटों के बनते थे। बड़े मकानों में कई कमरे होते थे। इनमें एक चौकोर आँगन भी होता था। इन मकानों में निजी कुएँ, रसोईघर और स्नानागार भी होते थे। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सम्पन्न वर्ग के लोग बड़े मकानों में रहते थे जबकि गरीब लोग छोटे मकानों में निवास करते थे। हड़प्पा सभ्यता के नगरों में गंदे पानी के निकास के लिए नालियाँ व्यवस्थित रूप में होती थीं। प्रत्येक मकान में नालियाँ होती थी। ये गली की नाली से मिलती थी। नालियाँ पक्की होती थी। इनको पत्थर की सिल्लियों से ढंक दिया जाता था।

हड़प्पा के नगरों के कुछ मुख्य ढाँचों के अवशेष :

मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार इस सभ्यता का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल है। लोथल में गोदीबाड़ा का ढाँचा मिला। यहाँ पर जहाजों के लंगर डाले जाते थे।

आर्थिक क्रियाकलाप :

हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक दशा को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है -

हड़प्पा सभ्यता की कृषि व्यवस्था:

हड़प्पा की सभ्यता कृषि प्रधान सभ्यता थी । यहाँ के किसान गेहूँ, जौ, तिल, सरसों, मटर, राई, चावल, कपास आदि पैदा करते थे। यहाँ के किसान सिन्धु नदी से नहरें. निकालकर सिंचाई करते थे। वे कुओं से भी सिंचाई करते थे । सिन्धु नदी के कारण भूमि उपजाऊ थी । इस कारण से अनाज प्रचुर मात्रा में पैदा होता था।
सिन्धु नदी की उपजाऊ कछारी मिट्टी के कारण हड़प्पा सभ्यता के लोगों को खेती से अधिक मात्रा में अनाज की पैदावार प्राप्त होती है। कृषि से यहाँ के लोगों को उद्योग धंधे लगाने में भी सहायता प्राप्त हुई है। यहाँ के लोग हल और बैलों से जमीन की जुताई बुवाई करते थे। वे कुओं और नहरों से सिंचाई करते थे । सिन्धु नदी सिंचाई का मुख्य स्त्रोत थीं। वे लोग गेहूँ, जौ, तिल, सरसों, मटर, चावल, राई और कपास आदि पैदा करते थे। कृषि उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता था ।

हड़प्पा सभ्यता के लोगों की अर्थव्यवस्था-

हड़प्पा सभ्यता के लोग कृषि और पशुपालन करके अपना जीवनयापन करते थे । वे शिकार और मछली पकड़ने का व्यवसाय भी करते थे। वे चावल, जौ, दालें, गेहूँ, ज्वार सफेद चने, मटर, हरे चने, कपास आदि पैदा करते थे । हड़प्पा सभ्यता के लोग गाय, भैंस, भेड़, बकरी, कुत्ते, सूअर और घोड़े आदि पशु पालते थे। वे लोग कुटीर व्यवसाय और व्यापार करके भी अपना जीवनयापन करते थे। 

ताम्रपाषाणं कालीन औजारों, उपकरणों तथा अन्य आवश्यक वस्तुऐं - 

ताम्रपाषाण कालीन सभ्यताओं की मुख्य विशेषताओं में उनके द्वारा काम में लिए गए ताँबे और पत्थर के औजार हैं। पत्थर के औजार बनाने के लिए वे मकीक, चमकम पत्थर आदि का प्रयोग करते थे । वे लोग गंडास, चाकू, हंसिया, त्रिकोण और संबल का उपयोग करते थे। वे खेती में खुरपी का उपयोग करते थे। ताँबे की चीजों में वे चपटी कुल्हाड़ियां तीरों की नोकें, भालों नेत्रों के सिरे, छेनियां, मछली के कांटे, तलवारों के सिरे, फरसे, चूड़ियाँ, अँगूठियाँ, मनके आदि उपयोग करते थे खुदाई में कार्नेलियन, सूर्यकांत मणि, स्फटिक, गोमेद, सीपियों आदि से बने हुए मनके प्राप्त हुए हैं। इस मामले में दडिमाबाद संग्रहालय से मिली वस्तुएँ अधिक महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इन खोजों से काँसे से नबा गैंडा, हाथी, पहियों वाली गाड़ी आदि प्राप्त हुई है। कायथा नामक स्थान से भी पैनी तराशी गई धारों वाली ताँबे से बनी वस्तुएँ मिली हैं। 

हड़प्पा के लोगों की नगरीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ-

हड़प्पा के लोगों की नगरीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता आंतरिक और बाह्य व्यापारिक तंत्र जाल था। नगर के लोग खाद्य पदार्थों तथा अन्य आवश्यक चीजों के लिए गाँवों पर आश्रित थे। इसी कारण से गाँवों और शहरों के बीच परस्पर सहयोग के सम्बन्ध होते थे। शहरों के दस्तकारों को भी अपनी वस्तुओं को बेचने के लिए बाजारों की आवश्यकता थी। इसके कारण शहरों के बीच में पारस्परिक सम्पर्कों की स्थापना हुई। व्यापारी वर्ग ने विदेशों में व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित कर लिए।

उद्योग और शिल्प: 

हड़प्पा सभ्यता के लोग मिट्टी के बर्तन बनाने का सोने व चाँदी के जेवर बनाने का, ताँबे के औजार बनाने का, कपड़ों की रंगाई-छपाई करने का, मूर्तियाँ बनाने का, मीनाकारी का खिलौने बनाने, सूती वस्त्र बनाने का कुटीर व्यवसाय करते थे।

हड़प्पा काल में प्रचलित उद्योगों और शिल्प

हड़प्पा वासी लोहे के अलावा सभी धातुओं से परिचित थे। वे लोग सोने चाँदी की चीजें बनाते थे। सोने की चीजों में मोती, बाजूबंद, सुइयाँ आदि प्रमुख चीजें बनाते थे। उस समय चाँदी का उपयोग अधिक किया जाता था। खुदाई में अधिक से अधिक संख्या में गहने और तश्तरियाँ मिली है। खुदाई में ताँबे के औजार और अस्त्र-शस्त्र भी अधिक से अधिक संख्या में मिले हैं। साधारण औजारों में कुल्हाड़ी, आरी, छैनी, चाकू, भाले की नोंकें और तीरों के शीर्ष आदि सम्मिलित थे। ये औजार सुरक्षात्मक प्रकृति के थे। उस समय पत्थर के औजार भी काम में लिये जाते थे। उस समय के लोग ताँबा राजस्थान के खेतड़ी नामक स्थान से लाते थे। सोना हिमालय की नदियों की तराई और दक्षिण भारत से लाते थे। वे चाँदी मेसोपोटामिया से मँगाते थे। हड़प्पा की सभ्यता के लोग काँसे का प्रयोग भी करते थे। इसका उदाहरण मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई काँसे की नृत्यांगना की मूर्ति को माना जाता है। यह एक नग्न नारी की मूर्ति है। हड़प्पा में मनके बनाने की कला भी एक महत्त्वपूर्ण शिलपकला के रूप में थीं। उस समय कीमती पत्थरों और रत्नों से मोती बनाये जाते थे। जैसे गोमेद और कॉर्नोलियन। सोने और चाँदी के मनके भी खुदाई में मिले हैं। हाथी दाँत की नक्काशी तथा सजावटी चीजों पर मीनाकारी भी की जाती थी। मोहनजोदड़ो में दाढ़ी वाले पुरुष की पत्थर की मूर्ति बड़ी कलात्मक रूप • में मिली। इसकी आँखें ध्यान मग्न मुद्रा में हैं। इसके बाँयें कंधे पर कशीदाकारी किया गया दुशाला है। हड़प्पा की खुदाई में स्त्रियों व पुरुषों की मिट्टी की मूर्तियाँ भी बहुत अधिक संख्या में मिली है। इसके अलावा पक्षियों, बंदरों, कुत्तों, भेड़ों, बैलों आदि की भी मूर्तियाँ प्राप्त हुई है। पक्की मिट्टी से बनी हुई गाड़ियाँ भी प्राप्त हुई है। हड़प्पा वासी मिट्टी के बर्तन भी बनाते थे। वे चाक के पहिये से बर्तन बनाते थे। वे बर्तनों पर लाल रंग करके उन पर काले रंग से सजावट करते थे। बर्तनों पर वे चित्रकारी भी करते थे। हड़प्पा के लोग मुहरे भी बनाते थे । वे मुहरों पर चित्र भी बनाते थे। सबसे अधिक प्रसिद्ध मुहर वह मिली है जिस पर सींगों वाले एक पुरुष देव का चित्र बना हुआ है। इसके तीन सिर हैं। यह पद्मासन में बैठा हुआ है। इसके चारों ओर हाथी, बाघ, गैंडा और भैंस आदि जानवर है। इसको विद्वानों ने पशुपति शिव माना है।

व्यापार

हड़प्पा सभ्यता के लोग व्यापार भी करते थे । वे अनाज, सूती वस्त्र, मिट्टी के बर्तन आदि चीजें विदेशों में निर्यात करते थे जबकि कीमती धातुएँ, हीरे, रत्न, सौन्दर्य प्रसाधन की चीजें आदि का आयात करते थे। इनके व्यापारिक सम्बन्ध चीन, ईरान, मेसोपोटामिया और मिश्र आदि देशों से थे |

धार्मिक विश्वास और रीतियाँ:

हड़प्पा सभ्यता के लोग पशुपति शिव, मातृदेवी, लिंग पूजा, योनि पूजा, वृक्ष पूजा, जल पूजा, नाग पूजा आदि देवी-देवताओं की पूजा करते थे। वे हवन जैसा कर्मकाण्ड भी करते थे ।

लिपि :

हड़प्पा की लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है। ये लोग अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए चित्राकृति चिह्न या अक्षर का प्रयोग करते थे ।

भारत में गैर हड़प्पा ताम्र पाषाण समुदाय:

मुख्य ताम्र पाषाण सभ्यताएँ तथा उनके महत्त्वपूर्ण मुख्य स्थान और गैर हड़प्पा ताम्र पाषाण सभ्यताओं का विस्तार पश्चिमी भारत और दक्कन में देखने को मिलता है।

औजारे, आवश्यक उपकरण और अन्य वस्तुएं :

यहाँ के लोग गंडासा, चाकू, हंसिया, त्रिकोण, संबल, खुरपी, कुल्हाड़ी, तीर, भाले, तलवार, फेरसे आदि औजारों और उपकरणों का प्रयोग करते थे। ये ताँबे और पत्थर के बने हुए थे । 9

घर और निवास:

हड़प्पा के लोग आयताकार और गोलाकार घरों में रहते थे।

हड़प्पावासियों के मेसोपोटामिया के साथ व्यापार के सम्बन्ध

हड़प्पा वासियों का मैसोपोटामिया के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे। यहाँ के लोग मेसोपोटामिया से चाँदी मँगाते थे। इसके अलावा कपड़े, ऊन, इत्र व चमड़े की चीजें मँगाते थे।

हड़प्पावासियों के धार्मिक जीवन के सम्बन्ध में प्रमुख विशिष्टता

हड़प्पावासियों के धार्मिक विश्वासों और रीति रिवाजों की जानकारी मृणमूर्तियों से मिलती है। इनमें पकी मिट्टी की असंख्य मातृदेवी की मूर्तियाँ मिली है। विद्वानों का यह मानना है कि हड़प्पावासी लिंग पूजा व योनि पूजा करते थे। वे पशुपति शिव की पूजा भी करते थे। वे पेड़ों की पूजा भी करते थे। जैसे पीपल और बड़। वे पशुओं को भी पूजते थे। अग्नि पूजा वे के भी प्रमाण मिले हैं। वे हवन भी करते थे। हड़प्पावासी पुनर्जन्म में भी विश्वास करते थे।

गैर हड़प्पा ताम्र पाषाणिक लोगों के जीवन का सम्बन्ध

राजस्थान के दक्षिण पूर्व में स्थित बनास सभ्यता उदयपुर के पास आहड़ सभ्यता और गिलुंड सभ्यता, मालवा सभ्यता, पश्चिमी मध्य प्रदेश में नवदातोली, जोवें सभ्यता, महाराष्ट्र में पुणे के पास इनाम गांव और चंदौला, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल आदि स्थानों से ताम्रपाषाण सभ्यताओं के प्रमाण मिले हैं। इन सभी स्थानों की गैर हड़प्पा सभ्यताओं में समानताएँ भी थीं। जैसे उनके मिट्टी के घर, खेती और शिकार सम्बन्धी क्रियाकलाप, चाक से बनाये गये मिट्टी के बर्तन आदि में समानता देखने को मिलती है।

हड़प्पा सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन-

हड़प्पा की सभ्यता के लोगों के सामाजिक जीवन को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है

(1) समाज 

हड़प्पा के लोगों का समाज कई वर्गों में बँटा हुआ था। जैसे-पुजारी, योद्धा, किसान, व्यापारी और कारीगर आदि वर्ग थे । हड़प्पा और लोथल नामक स्थानों की खुदाई में मकानों के जो ढाँचे मिले हैं उनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि अलग-अलग वर्गों के व्यक्ति अलगअलग प्रकार के मकानों में निवास करते थे। हड़प्पा के कोठार नामक स्थान के पास कारीगरों के घर मिले हैं। जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस वर्ग के कारीगर उस समय उपस्थित थे। इसी प्रकार से लोथल की खुदाई में ताँबे का काम करने वाले कारीगरों और मोती बनाने वाले कारीगरों की कार्यशालाएँ प्राप्त हुई हैं। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि उस समय के धनी लोग बड़े मकानों में रहते थे जबकि मजदूर वर्ग के लोग छोटे मकानों में निवास करते थे । 

 (2) परिवार 

हड़प्पा की सभ्यता के लोगों का परिवार मातृसत्तात्मक था। यह परिवार इस प्रकार का होता है जिसमें माता की प्रधानता होती है । 
 

( 3 ) वेशभूषा : 

उस समय के लोग सूती और ऊनी वस्त्र पहनते थे । पुरुष धोती, पगड़ी तथा चोगे जैसा ढीला वस्त्र पहनते थे । स्त्रियाँ कंधे से एड़ी तक का लम्बा वस्त्र पहनती थी। वे दुपट्टा भी रखती थी। 

 (4) खान-पान 

हड़प्पा की सभ्यता के लोग शाकाहारी और माँसाहारी दोनों ही प्रकार का भोजन करते थे। वे चपाती, सब्जियाँ, दूध, दही, मक्खन आदि शाकाहारी पदार्थ भोजन में लेते थे जबकि माँसाहारी भोजन के रूप में माँस, मछली और अंडे ग्रहण करते थे। 

 (5) आभूषण :

 हड़प्पा के स्त्री व पुरुष दोनों ही वर्ग आभूषण पहनते थे। धनी वर्ग के लोग सोने और चाँदी के आभूषण पहनते थे। जबकि निर्धन लोग पक्की मिट्टी के बने हुए आभूषण पहनते थे । उस समय स्त्री-पुरुष दोनों ही हार, बाजूबंद, कानों के बूँदे, मोती - मनके, चूड़ियाँ आदि आभूषण पहनते थे। 

 (6) शृंगार : 

हड़प्पा के लोगों को सजने संवरने का बड़ा ही शौक था। विभिन्न स्थानों पर की गई खुदाई में स्त्रियों व पुरुषों की प्राप्त हुई मूर्तियों से इस बात की पुष्टि होती है। वे शृंगार की वस्तुओं का भी उपयोग करते थे। स्त्रियाँ व पुरुष अलग-अलंग ढंग से बाल सँवारते थे । 

 (7) समाज में स्त्रियों का स्थान : 

हड़प्पा के समाज में स्त्रियों का उच्च स्थान था। उन्हें पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त थे। 

 (8) रहन-सहन

 हड़प्पा के लोगों का रहन-सहन उच्च स्तर का था । वे पक्के व आरामदायक मकानों में रहते थे। वे अच्छा भोजन लेते थे और अच्छे वस्त्र पहनते थे ।

 (9) आमोद-प्रमोद 

हड़प्पा के लोग शिकार, मछली पकड़ना, पशुओं की लड़ाई देखना आदि साधनों से अपना मनोरंजन करते थे। जैसे मुर्गों, सांडों और भैंसों की लड़ाई देखकर आमोद-प्रमोद करते थे। 

 (10) अन्तिम क्रिया के तरीके:

 हड़प्पा के लोग मृतक की अन्तिम क्रिया के तीन तरीके प्रयोग में लेते थे। जैसे- शव को ज्यों का त्यों गाढ़ देना, शव को जला देना तथा शव को जंगली जानवरों के आगे डाल देना। उनके खाने के बाद बची हुई अस्थियों को या तो नदी में बहा देते थे या घड़े बन्द करके जमीन के अन्दर गाड़ देते थे। वे मृतक को दफनाते समय उनके साथ चूड़ियाँ, मोती, ताँबे के दर्पण आदि चीजें भी कब्र में रख देते थे । लोथल में तीन कब्रें ऐसी मिली है जिनमें स्त्रियों एवं पुरुषों को एक साथ दफनाया गया है। कालीबंगा की खुदाई में एक कब्र ऐसी मिली है जिसमें केवल बर्तन ही मिले हैं। उसमें हड्डियाँ या कंकाल नहीं मिला है। यह प्रतीकात्मक रूप से दफनाने का प्रमाण प्राप्त हुआ है।

सामाजिक विशिष्टताएँ : 

इनके समाज की विशेषताए निम्न प्रकार की थी 
(अ) परिवार होते थे। : हड़प्पा सभ्यता में परिवार मातृसत्तात्मक 
(ब) समाज हड़प्पा समाज पुजारी, योद्धा, किसान, व्यापारी और कारीगर आदि वर्गों में बँटा हुआ था। 
(स) वेशभूषा : हड़प्पावासी सूती और ऊनी वस्त्र पहनते थे । पुरुष धोती, पगड़ी और कमीज पहनते थे। स्त्रियाँ कंधे से एड़ी तक एक लम्बा वस्त्र पहनती थीं। वे दुपट्टा भी रखती थी। 
(द) आभूषण : हड़प्पा सभ्यता के लोग स्त्री व पुरुष दोनों ही वर्ग आभूषण पहनते थे । नेकलेस, बाजूबंद, कानों के बूँदें, मोती- मनके और चूड़ियाँ आदि आभूषण स्त्री व पुरुष दोनों ही पहनते थे ।

हड़प्पा सभ्यता का पतन

हड़प्पा सभ्यता के पतन के बारे में इतिहासकार अलग-अलग मत देते हैं। जैसे-
(1) कुछ विद्वानों का यह मानना है कि हड़प्पा की सभ्यता का अंत बाढ़ के कारण हुआ है
(2) कुछ विद्वान यह भी तर्क देते हैं कि हड़प्पा सभ्यता का विनाश सूखे के कारण हुआ है।
(3) कुछ विद्वान यह भी कहते हैं कि यह सभ्यता भूकम्प के कारण नष्ट हो गई।
(4) कुछ विद्वानों का यह भी तर्क है कि यह सभ्यता हैजा, प्लेग जैसी महामारियों के कारण नष्ट हो गई।
(5) कुछ लोग यह भी मानते हैं कि आग लगने से भी इस सभ्यता का विनाश हो गया।
(6) कई लोग यह भी कहते हैं कि आर्यों के आक्रमण से भी यह सभ्यता पतन कीओर चली गई।

हड़प्पा सभ्यता : महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहते हैं?
उत्तर : सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता इसलिए कहते हैं, क्योंकि हड़प्पा वह पहला स्थान था, जहाँ पर इस सभ्यता के अवशेष सबसे पहले प्राप्त हुए थे ?

प्रश्न 2. हड़प्पा सभ्यता के विभिन्न चरण कौन-कौन से थे?
उत्तर : प्रारंभिक हड़प्पा काल ( 3500 ई. पू.-2600 ई.पू.) 
      परिपक्व काल ; यह काल 2600 ई. पू. से 1900 ई.पू. तक माना गया है। 
      उत्तर हड़प्पा काल : यह काल 1900 ई. पू. से 1400 ई पू. तक माना गया है।

प्रश्न 3. हरियाणा और गुजरात के किन्हीं दो-दो प्रमुख हड़प्पाकालीन स्थलों के नाम लिखें ? 
उत्तर : हरियाणा में बनवाली और राखीगढ़ी और गुजरात में लोथल और धौलावीरा

प्रश्न 4. मोहनजोदडो की खोज किसने की ? 
उत्तर : श्री आर. डी. बनर्जी

प्रश्न 5. हड़प्पा किस नदी के किनारे पर स्थित है ? 
उत्तर : रावी 

प्रश्न 6. किसी नगरीय सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ होती हैं ?
उत्तर : किसी नागरीय सभ्यता की प्रमुख विशिष्टताएं हैं। भली-भांति नियोजित शहर, विशिष्ट कलाएं और शिल्प, व्यापार, कर-नीति (टैक्सेशन) और लिपि इत्यादि ।

प्रश्न 7. हड़प्पा के नगरों में किले का निर्माण सामान्यतः किस दिशा में होता था ?
उत्तर : पश्चिमी

प्रश्न 8. घरों को बनाने के लिए किस प्रकार की ईंटों का उपयोग होता था ?
उत्तर : भट्ठी में पकी ईंटें

प्रश्न 9. 'विशाल स्नानागार' की खोज कहाँ पर हुई ? 
उत्तर: : मोहनजोदड़ो 

प्रश्न 10.लोशल में पाए गए प्रमुख भवन के ढांचे का नाम बताऐं ? 
उत्तर : गोदीबाड़ा 

प्रश्न 11. खेती-बाड़ी के अतिरिक्त हड़प्पा के लोगों में कौनसी आर्थिक गतिविधियों का प्रचलन था ?
उत्तर : पशु चराना (पशु-पालन)

प्रश्न 12. हड़प्पा के लोगों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली दो मुख्य खाद्य फसलों के नाम लिखें।
उत्तर :गेहूं, जौ, तिल, सरसों, मटर, जेजुबी इत्यादि 
 
प्रश्न 13.हड़प्पा काल के उन दो स्थानों के नाम लिखें, जहां से हमें उस दौरान खाद्य फसल के रूप में चावल के होने के प्रमाण मिले हैं ?
उत्तर :लोथल और रंगपुर

प्रश्न 14. कांसे की नर्तकी की मूर्ति किस स्थान से मिली थी ?
उत्तर : मोहनजोदड़ो

प्रश्न 15. हड़प्पा काल के दौरान प्रचलित किन्हीं दो शिल्पों के नाम लिखें ?
उत्तर :मनके-मोती बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना 

प्रश्न 16. हड़प्पा के लोगों के लिए तांबा प्राप्त करने का प्रमुख स्रोत कौन-सा स्थान था ?
उत्तर: राजस्थान में खेतड़ी की खदानें

प्रश्न 17. हड़प्पा के समाज को समाज को ********** समाज समझा जाता था ?
उत्तर : मातृसत्तामक

प्रश्न 18. कारीगारों के मकान किस स्थान पर पाए गए थे ?
उत्तर : हड़प्पा 

प्रश्न 19. हड़प्पा के लोग किस सामग्री से बने कपड़े पहनते थे ?
उत्तर : सूत (कपास), ऊन

प्रश्न 20.प्रसिद्ध 'पशुपति' मुद्रा किस स्थान से मिली है ?
उत्तर : मोहनजोदड़ो

प्रश्न 21. हड़प्पाकालीन मुद्राओं पर प्रायः कौन-से वृक्ष की आकृति पाई गई है ? 
उत्तर : पीपल

प्रश्न 22. क्या अग्नि की उपासना का कोई साक्ष्य मिला है ? यदि हाँ, तो यह कहाँ पर मिला है ?  
उत्तर:हाँ, कालीबंगन और लोथल

प्रश्न 23. संयुक्त कब्रें किस स्थान पर मिली हैं ? 
उत्तर : लोथल

प्रश्न 24. हड़प्पा की लिपि में लगभग कितनी संख्या में चिह्न हैं ?

प्रश्न 25. कौन-सी प्राकृतिक आपदाओं को हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए जिम्मेदार माना जाता है ?
उत्तर :बाढ, भूकंप
 
प्रश्न 25. हड़प्पा की खुदायी कब और किसने की थी। 
उत्तर : हड़प्पा की खुदायी 1920-22 में राखलदास बनर्जी ने की थी ।

प्रश्न 26. हड़प्पा कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर :पंजाब के मोण्टगोमरी जिले में हड़प्पा स्थित है।

प्रश्न 27. मोहनजोदड़ो की खुदाई किसने की थी ? यह कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर : मोहनजोदड़ो की खुदाई दयाराम साहनी ने की थी। यह सिन्ध के लरकाना जिले में स्थित है।

प्रश्न 28. हड़प्पा सभ्यता का काल क्या माना जाता है ? 
उत्तर : हड़प्पा सभ्यता का काल 2600 ई. पूर्व से 1900 ई.पू. के बीच माना जाता है।

प्रश्न 29. हड़प्पा की सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से क्यों जाना जाता है ?
उत्तर : क्योंकि प्रारम्भ में इसकी जितनी भी बस्तियाँ खुदाई में मिली है वे सिन्धु नदी या इसकी सहायक नदियों के आस-पास मैदानों में स्थित रही है।

प्रश्न 30. हड़प्पा सभ्यता को वर्तमान में इस नाम से क्यों पुकारा जाता है ?
उत्तर : क्योंकि हड़प्पा ही पहला स्थान था जिससे इस सभ्यता के अस्तित्व का पता चला है।

प्रश्न 31. हड़प्पा काल की सम्पूर्ण अवधि को कौन-कौन से चरणों में बाँटा गया है ?
उत्तर : (1) प्रारम्भिक हड़प्पा काल, (2) परिपक्व हड़प्पा काल, (3) उत्तर हड़प्पा काल ।

प्रश्न 32 प्रारम्भिक हड़प्पा काल की मुख्य विशेषता लिखिये। 
उत्तर : इस काल के मिट्टी से बने ढाचों, प्रारम्भिक व्यापार, कला और शिल्प आदि की विशिष्टताएँ देखने को मिलती है। 

प्रश्न 33. हड़प्पा सभ्यता के राजस्थान में केन्द्र लिखिये।
उत्तर : राजस्थान में हड़प्पा सभ्यता के केन्द्र कालीबंगा, आहड़, वैसठ आदि है।

प्रश्न 34. हड़प्पा सभ्यता की सबसे श्रेष्ठ विशेषता क्या है ? 
उत्तर हड़प्पा सभ्यता की सबसे श्रेष्ठ विशेषता नगर नियोजन है। 

प्रश्न 35. हड़प्पा में सड़कें किस प्रकार की होती थी ?
उत्तर : हड़प्पा के नगरों की सड़कें चौड़ी होती थीं जो एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं।

प्रश्न 36. हड़प्पा के नगरों में गंदे पानी के निकास की क्या व्यवस्था थी ?
उत्तर : हड़प्पा के नगरों के मकानों में पक्की नालियाँ गंदे पानी के निकास के लिए होती थी ।

प्रश्न 37. मोहनजोदड़ो के स्नानागार की क्या विशेषता है ? 
उत्तर : मोहनजोदड़ो के स्नानागार के चारों ओर बरामदे बने हुए हैं तथा उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों छोरों पर सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। स्नानागार के चारों ओर किनारे पर कमरे बने हुए हैं।

प्रश्न 38. हड़प्पा सभ्यता के चावल की खेती के प्रमाण कहाँ मिले हैं ?
उत्तर : लोथल और रंगपुर में मिट्टी के बर्तनों में चावल की भूसी के बचे हुए कणों से ही चावल की खेती के संकेत मिलते हैं।

प्रश्न 39. हड़प्पा के लोग मोती बनाने के लिए किसका उपयोग करते थे।
उत्तर :हड़प्पा के लोग मोती बनाने के लिए स्टिएटाइट का उपयोग करते थे । 

प्रश्न 40. हड़प्पा की सभ्यता में किस प्रकार के परिवार होते थे ?
उत्तर : हड़प्पा की सभ्यता में मातृसत्तात्मक परिवार होते थे। 

प्रश्न 41. हड़प्पा सभ्यता के लोग पुनर्जन्म में विश्वास करते थे, इस बात के क्या प्रमाण मिले है ?
उत्तर : हड़प्पा के लोग शव के साथ चूड़ियाँ, मोती, ताँबे के दर्पण आदि वस्तुओं को भी दफना देते थे। इसी से यह संकेत मिलता है कि वे पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे।

प्रश्न 42. हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए किनके आक्रमणों को उत्तरदायी माना गया है ?
उत्तर : हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए आर्यों के आक्रमणों को उत्तरदायी माना गया है।

प्रश्न 43. ताम्रपाषाण सभ्यताएँ राजस्थान में कहाँ पर है ? 
उत्तर : ताम्रपाषाण सभ्यताएँ राजस्थान में उदयपुर के पास आहड़ और गिलुण्ड नामक स्थानों पर है।

प्रश्न 44. ताम्रपाषाण सभ्यताओं में किस प्रकार के बर्तन मिले है ?
उत्तर : ताम्रपाषाण सभ्यताओं में गेरूए रंग, काले और रंग के बर्तन मिले हैं।

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