अधिकार और कर्तव्यों में सम्बन्ध | Relation to Rights and Duties

अधिकार और कर्तव्यों में सम्बन्ध

Relation in Rights and Duties

अधिकार एवं कर्तव्यों का सम्बन्ध अधिकार एवं कर्त्तव्यों का पारस्परिक सम्बन्ध निम्नलिखित रूपों में व्यक्त किया जा सकता है—

(1) अधिकार और कर्त्तव्य दोनों ही माँग हैं- 

अधिकार और कर्त्तव्य दोनों ही व्यक्ति और समाज की अनिवार्य माँगें हैं। यदि अधिकार व्यक्ति की माँग है, जिन्हें समाज स्वीकार कर लेता है तो कर्त्तव्य समाज की माँग है जिन्हें व्यक्ति सार्वजनिक हित में स्वीकार करता है। वाइल्ड के शब्दों में कहा जा सकता है कि “अधिकार का महत्त्व कर्त्तव्यों के संसार में ही है।" अधिकार और कर्त्तव्य दोनों ही सामाजिकता पर बल देते हुए डॉ.बेनी प्रसाद ने लिखा है कि "दोनों ही सामाजिक हैं और दोनों ही तत्वत: सही जीवन की शर्ते हैं जो समाज के सभी व्यक्तियों को प्राप्त होनी चाहिए।"
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(2) कर्त्तव्य पालन में ही अधिकारों की प्राप्ति सम्भव–

नार्मन वाइल्ड ने उचित ही कहा है कि "अधिकारों का महत्व केवल मात्र कर्तव्यों के संसार में है।" यदि समाज के सभी व्यक्ति सहयोग करेंगे तभी अधिकारों का अस्तित्व रह पायेगा और जब सहयोग की भावना का विकास होता है तभी कर्त्तव्य आ जाते हैं। वास्तव में, कर्तव्यों के पालन करने में अधिकारों के उपभोग का रहस्य छिपा हुआ है।

(3) एक व्यक्ति का अधिकार दूसरे का कर्त्तव्य है- 

समाज में एक व्यक्ति का अधिकार दूसरे व्यक्तियों का कर्तव्य होता है, उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति के जीवन रक्षा का अधिकार समाज के दूसरे व्यक्तियों को कर्तव्यों में आबद्ध कर देता है कि वे उस व्यक्ति के जीवन-रक्षा के अधिकार में बाधा उपस्थित न करें। हमारा स्वतन्त्रता का अधिकार समाज का कर्त्तव्य है कि समाज के व्यक्ति मेरे स्वतन्त्रता के अधिकार में बाधक न हों। व्यक्ति अपने अधिकारों का उपभोग तभी कर पाता है जब समाज के व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।
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(4) एक व्यक्ति का अधिकार स्वयं उसका कर्तव्य है - 

समाज में प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार स्वयं उसका कर्त्तव्य है। यदि एक व्यक्ति चाहता है कि वह अपने अधिकारों का उपभोग बिना किसी बाधा के कर सके और समाज में लोग उसके अधिकार में बाधा उपस्थित न करें तो उसका कर्त्तव्य है कि वह उसी प्रकार के दूसरे व्यक्तियों के अधिकारों को मान्यता प्रदान करें तथा उनके अधिकारों के उपभोग में बाधा उपस्थित न करे, उदाहरण के लिए, यदि हम अपने विचार अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार को सुनिश्चित करना चाहते हैं तो हमारा कर्त्तव्य है कि हम समाज के दूसरे व्यक्तियों की विचार-अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार में किसी प्रकार की बाधा उपस्थित न करें। इस प्रकार एक व्यक्ति का अधिकार स्वयं उसका कर्तव्य है। डॉ.बेनी प्रसाद ने ठीक ही कहा है कि "यदि प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने अधिकार का ही ध्यान रखे तथा दूसरों के प्रति कर्त्तव्यों का पालन न करे तो शीघ्र ही किसी के लिए भी अधिकार नहीं रहेंगे।"
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(5) अधिकारों के प्राप्त होने पर ही कर्त्तव्य पालन सम्भव है-

कुछ विचारकों का मत है कि राज्य में व्यक्ति के कर्तव्य ही होने चाहिए, अधिकार नहीं। यह धारणा गलत है। बिना अधिकारों के व्यक्ति कर्त्तव्य पालन के योग्य नहीं बन सकता । अधिकारों की प्राप्ति से व्यक्ति अपना विकास कर इस योग्य बनता है कि वह समाज, राष्ट्र और मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन सम्यक् रूप से कर सकता है।

(6) व्यक्ति का अधिकार समाज और राज्य का कर्तव्य है- 

व्यक्ति अपने अधिकारों का उपभोग तभी कर सकता है, जबकि समाज और राज्य अपने कर्तव्यों का पालन करें। अधिकारों का अस्तित्व समाज की स्वीकृति और राज्य के संरक्षण पर आधारित है। यदि राज्य अपने कानूनों के द्वारा नागरिकों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान न करे तो नागरिकों के अधिकार महत्वहीन हो जाते हैं।

(7) नागरिकों के अधिकार राज्य के प्रति कर्त्तव्य उत्पन्न करते हैं— 

राज्य नागरिकों के विकास के लिए विविध सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों को प्रदान करता है। अत: नागरिकों का कर्तव्य है कि वह राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें। राज्य के प्रति भक्ति-भावना रखना, राज्य के कानूनों का पालन करना, राज्य द्वारा लगाये गये करों का भुगतान करना तथा संकट के समय राज्य के प्रति अपने को समर्पित करने का नागरिकों का पुनीत कर्त्तव्य है । नागरिकों के कर्त्तव्य पालन पर ही राज्य नागरिकों को अधिकतम के लिए सुविधाएँ प्रदान करने के लिए सक्षम होता है। 
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    उपर्युक्त के आधार पर कहा जा सकता है कि अधिकार एवं कर्त्तव्य एक ही वस्तु अथवा सिक्के के दो रूप हैं। एक के हट जाने से दूसरे का भी महत्व समाप्त हो जाता है। अधिकार कर्तव्यों के संसार में ही उत्पन्न होते हैं। प्रत्येक अधिकार अपने साथ एक कर्त्तव्य लाता है तथा प्रत्येक कर्त्तव्य की पूर्ति हेतु अधिकार आवश्यक है।

Kkr Kishan Regar

Dear Friends, I am Kkr Kishan Regar, a passionate learner in the fields of education and technology. I constantly explore books and various online resources to expand my knowledge. Through this blog, I aim to share insightful posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest updates. I hope my posts prove to be informative and beneficial for you. Best regards, **Kkr Kishan Regar** **Education:** B.A., B.Ed., M.Ed., M.S.W., M.A. (Hindi), P.G.D.C.A.

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